महाष्टमी के दिन जरूर पढ़े माँ महागौरी की कथा
नवरात्रि का पर्व चल रहा है और यह पर्व बहुत ही ख़ास है. इस पर्व को बहुत ख़ास तरह से मनाया भी जा रहा है. वैसे कल यानी 24 अक्टूबर को नवमी और अष्टमी साथ में है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ महागौरी की कथा.
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कथा
कहते हैं भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी और ऐसा करने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया था। वहीँ उस समय महागौरी की कठोर तपस्या करने से महादेव प्रसन्न हो गए थे और माता की प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। वहीँ उस समय माता के शरीर का रंग तपस्या से काला हो जाने के कारण महादेव ने उन्हें गंगाजल से धोया था जिसके बाद महागौरी वापस गोरे रंग वाली हो गईं। इसी के कारण माता का नाम महागौरी पड़ गया। कहा जाता है अष्टमी के दिन व्रत रखने से भक्तों को उनका मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
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महागौरी की एक अन्य कथा भी प्रचलित है। इसके अनुसार जब मां उमा जंगल में तपस्या कर रही थीं, तभी एक शेर वन में भूखा घूम रहा था। खाने की तलाश में वहां पहुंचा जहां मां तपस्या में लीन थी। देवी को देखकर शेर की भूख बढ़ गई और शेर उनके तपस्या पूरी करने का इंतजार करने लगा। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो शेर की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई। मां ने उसे अपनी सवारी ली और एक प्रकार से उसने भी मां के साथ तपस्या की थी। इसलिए देवी महागौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।
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