नवरात्र के दूसरे दिन जरूर जानिए माँ ब्रह्मचारिणी के जन्म की कहानी
आप जानते ही हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. ऐसे में कहते हैं ब्रह्मचारिणी को तप की देवी कहा जाता है और मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया.
इसी के साथ ऐसा बताया जाता है वह सालों तक भूखी-प्यासी रहकर शिव को प्राप्त करने की इच्छा पर अडिग रहीं इस कारण से इन्हे तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी माता का यही रूप कठोर परिश्रम की सीख देता है, कि किसी भी चीज़ को पाने के लिए तप करना चाहिए और बिना कठिन तप के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ब्रह्मचारिणी माता की कहानी.
ब्रह्मचारिणी माता की कहानी
मान्यताआों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर की पत्नी बनने के लिए तपस्या की. इन्हें ब्रह्मा जी ने मन चाहा वरदान भी दिया. इसी तपस्या की वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इसके अलावा मान्यता है कि माता के इस रूप की पूजा करने से मन स्थिर रहता है और इच्छाएं पूरी होती हैं.
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