क्या आप जानते है शादी के बाद हाथों में औरतें क्यों पहनती है चूड़ियां
आज के वक़्त में चूड़ियां (Why women wear bangles) सिर्फ ट्रेंड के लिए ही पहनी जाती है पर औरतों को ये नहीं पता कि चूड़ियां पहनने के पीछे सिर्फ धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक कारण (Scientific reason behind wearing bangles) भी सामने आ चुका है. आज हम उन्हीं वजहों के बारे में आपको बता रहे हैं.
"मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां हैं", "गोरी हैं कलाइयां दिला दे मुझे हरी-हरी चूड़ियां", "बोले चूड़िया-बोले कंगना", मूवीज ने चूड़ियों को अक्सर प्रेम, फैशन और सौंदर्य की वस्तु की तरह पेश किया है. सैकड़ों गाने चूड़ियों पर लिखे गए, शायरों ने शेर बोले और एक्ट्रेसेज ने भी तीज-त्योहारों पर चूड़ियां पहनकर अपने फैंस के मध्य उसका ट्रेंड बनाए रखा. पर चूड़ियां (Why women wear bangles) सिर्फ ट्रेंडी दिखने का माध्यम नहीं है. बहुत कम लोग जाते हैं कि शादी के बाद चूड़ियां पहनने का का धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण (Scientific reason behind wearing bangles) भी है.
देवी पूजन में मां को चूड़ियां चढ़ाई जाती हैं. चूड़ियों को सुहाग की निशानी भी बोला जाता है. कहते हैं कि चूड़ियां पनने से देवी मां आशीर्वाद देती हैं और उससे पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन सुखद बीतता है. इन वजहों को तो हर कोई जानता होगा. ये धार्मिक (Spiritual reasons behind wearing bangles) कारण है, पर क्या आप चूड़ियां (choodiyan kyun pehnte hain) पहनने का वैज्ञानिक कारण जानते हैं? शायद नहीं जानते होंगे, तो चलिए आपको वो भी बता देते है.
खबरों का कहना है कि चूड़ियां पहनने के कई वैज्ञानिक कारण हैं. चूड़ियां कलाई पर पहनी जाती हैं जिनसे लगातार घर्षण होने लग जाता है. इस घर्षण से खून का संचार सुचारू ढंग से चलता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि कलाई में कई प्रेशर पॉइंट्स होते हैं जो एक्यूप्रेशर में भी काम आता है. चूड़ियां पहनने से वो भी बीच-बीच में दबते रहते हैं जिससे हॉर्मोनल बैलेंस बन जाता है. ये भी एक वजह है कि पुराने समय में पुरुष भी हाथों में कड़े पहना करते थे.
चूड़ी पहनने का एक और वैज्ञानिक कारण है. इससे मां और गर्भ में पल रहा बच्चा चिंता-मुक्त होते हैं. भारत के कुछ हिस्सों में जब महिला मां बनने वाली होती है तो गोद भराई की रस्म को भी पूरा किया जाता है. इस रस्म में होने वाली मां को कड़े और चूड़ियां पहनने को दी जाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि चूड़ियों के बजने से मां के साथ-साथ गर्भ में बच्चे को उसकी आवाज सुनाई देती है. सातवें महीने में बच्चे के ब्रेन सेल एक्टिव होने लगते हैं और वो साउंड पहचानने लगते हैं.