इन्दौरी तड़का : रंगपंचमी अबी बाकी है मेरे दोस्त
इन्दौरी तड़का : भिया अबी तो बस शुरुआत है। कल की होली बी कोई होली थी कल तो बस शुरुआत की गई थी असली होली तो अपन को रंगपंचमी वाले दिन देखने को मिलेगी। बड़े ये कोई होली वोली खत्म नी हुई है ये तो बस शुरू हुई है। अब आप होली के बाद रंगपंचमी को देखो ऐसे खेलेंगे ना की कोई को नी छोड़ेंगे। भिया कल तो ऐसे रंगे थे सब की क्या बतऊ। मतलब हद होती है साले किसी को बी नी छोड़ रे थे। जिसको देखो उसी को दे रंग पे रंग। ऐसे रंगे जा री थे की जैसे बाप का राज हो। भिया फिर बी कल तो कम ही थी असली मजा तो सबको रंगपंचमी पे आएगा। बड़े ये इंदौर वाले जादा नी खेलते होली पे इनको असली भुत तो रंगपंचमी पे चढ़ता है। रंगपंचमी पे ये ऐसे नजर आएँगे जैसे इनको रंगों के आलावा कुछ नजर ही नी आ रा हो। बड़े यहाँ पे असली रंग तो रंगपंचमी को ही चढ़ता है।
कल सारे गली मोहल्ले में बस होली है, होली है चल रिया था जिसको देखो पोते जा रिया था। काले, नीले, और आम रस की तो बात ही मत करो भिया इन इंदौरियों को आम रस से इत्ता जादा लगाव है की पुरे गली मोहल्ले में आम रस के अलावा कुछ नजर ही नी आता। कल ही मैंने देखा भिया ये अपने पाटनीपूरा पे लोग एक दूसरे को नाले में फेंक फेंक कर ये के रिए थी बुरा ना मानो होली है लो भिया मतलब तुम नाले में फेंक दो और हम बुरा बी ना माने वाह यार ये तो गलत है।