इंदौरी तड़का : बड़े जब से बप्पा आए है बारिश जाने का नाम ही नी ले री है
बड़े ये बारिश तो ऐसी शुरू हो गई है इंदौर में की क्या बोलो। जब से बप्पा आए है। तब से बस बारिश है की जाने का नाम ही नी ले री है। बस आए ही जा री है। बड़े कसम से बारिश भोत तेज शुरू हो गई है। अब लपक बिजली कड़क री है मस्त मौसम बना है, बारिश हो री है मौसम खराब हो रिया है। मतलब ऐसा लग रिया है की अब इंद्र देव मानने वाले नी है। कसम से लपक बारा बजा रखी है इंदौर की, पुरे इंदौर की वाट लगी है बारिश और बिजली से। बड़े बप्पा अलग नी मान रिए है। अब इस बार इंदौर को नहला के ही जाएंगे। मतलब बप्पा के पप्पा तो मानते ही नी है और बाप्पा भी वैसे ही हो गए है।
भिया इस बार तो उन सबकी मन्नतें पूरी हो री है जो बारिश-बारिश कर रे थे। अब और करो बारिश-बारिश, लो आ गई अब जाने का नाम ही नी ले री है। बड़े हर जगे पे अब कीचड़ धान मचा रखा है सब जगे बस कीचड़ ही कीचड़ है और कुछ नी। हर जगे पे अब गड्ढे और कीचड़ मिलेगा। और गाडी चलाने वालो की तो ऐसी बारा बजेगी की बस एक तरफ दूसरी गाड़ियों के कीचड़ से बचो और दूसरी तरफ ये ध्यान रखो की कहीं गड्ढा तो नी है, वरना समझो आज मौत ही आनी है। भिया एक तो इंदौर के रस्ते है भी ऐसे की क्या बोलो। हर जगे पे कीचड़ और गड्डे जरूर मिलेंगे। भिया यहाँ पे सब ऐसा ही है लोग ऐबले, सड़के खराब, जगह सत्यानाश। पन लोग भोत भेंकर वाले सईसाट है।
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