इन्दौरी तड़का : बड़े इंदौर में सब अपने मन के है , कोई कोई की ना सुनता
Indori Tadka : बड़े यहाँ के लोग ऐसे है की क्या बोलो... कोई किसी की नी सुनता सब अपने अपने मन कहै जिसको जो करना है वो वई करेगा फिर वो कुछ बी हो। भइया यहाँ के लोगो को तो आप कुछ के ही नी सकते हो कसम से क्योंकि वो सुनते ही ना है। बच्चो से लेके बड़े तक कोई बी किसी की बी नी सुनता है सबको अपनी बात की ही पड़ी रेती है जो ठान लिया मतलब वई होगा अब। और अगर आप किसी को कुछ कहोगे बी ना यहाँ पे तो वो एक कान से सुनेगा और दूसरे से निकाल के फेंक देगा लेकिन करेगा नी। बड़े यहाँ के लोगो की ज़िंदगी में तो सुनना लिखा ही ना है। ना पुलिस की सुनते है ना मेडम की। और जुबान तो ऐसी कैंची की तरह चलती है की क्या बोलो। बावा कसम से के रिए है यहाँ पे कबि किसी को कुछ के नी देना वरना तुम्हारा क्या होवेगा वो तुम क्या भगवान बी नी जान पाएगा। भिया यहाँ पे लोग सुनते सबकी है लेकिन करते मन की है।
और अगर उनको तुम्हारी बकवास नी सुननी होंगी तो कान में हैंडफ्री लगाएंगे और सटक लेंगे वहां से। बड़े कबि कबि तो मेको लगता है यहाँ के लोगो के कान तो है पर उनमे सुनने की क्षमता नी है। बाकी सब तो छोड़ो यहाँ पे लोगो को पीछे से हॉर्न बी बजा बजा के बताओ की हम आ रे है हट जाओ तब बी वो नी हटेंगे तो नी हटेंगे। फिर थोक दो तो लपक के बहस कर लेंगे, लेकिन अपनी गलती नी मानेगें। भिया सब ऐसे ही है यहाँ पे।
इन्दौरी तड़का : भिया सावन चल रिए है, खिचड़ी बटेगी अब तो लपक के
इन्दौरी तड़का : भिया सावन चल रिए है खिचड़ी बटेगी अब तो लपक के
जब नकली पुलिस बनकर लोगों को जबरदस्ती गिरफ्तार करने लगा यह आदमी