चाय की दुकान से राष्ट्रपति सम्मान तक का सफ़र
आज के समय में कोई भी व्यवसाय किसी से कम नहीं है फर्क है देखने वाले के नजरिये का. अब सब्जी वाले से लेकर चाय वाले तक सभी कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल कर लेते है. आज हम आपको एक ऐसे चाय वाली की सफलता की कहानी बता रहे है जिसे सुनकर आपमें भी कुछ कर दिखाने का जज़्बा और जूनून पैदा हो जायेगा. ये कहानी है दिल्ली के हिन्द भवन के बाहर बैठने वाले लक्ष्मण राव. लक्ष्मण चाय का ठेला लगाते है.
वैसे तो लक्ष्मण महाराष्ट्र के रहने वाले है लेकिन काफी समय से वो दिल्ली में ही रह रहे है. लक्ष्मण जब छोटे थे तो वे एक बार गांव में अपने दोस्त के साथ नहाने गए थे. तब उनका दोस्त नदी में गया लेकिन कभी वापिस नहीं आया. लक्ष्मण ने इस घटना के बाद कुछ लिखने का मन बना लिया. उन्होंने अपने दोस्त रामदास के नाम पर ही पहली कहानी लिखी जो कि बाद में किताब में तब्दील हो गई.
अब तक लक्ष्मण 24 किताबे लिख चुके है. और इनमे से करीब 12 किताबे प्रकाशित हो चुकी है. साथ ही इनमे से 6 किताबो का प्रकाशन दो बार हुआ है. वही लक्ष्मण राव की 5 किताबे अभी भी प्रकाशन प्रक्रिया में ही है. लक्ष्मण का मानना है कि लिखने के लिए पढ़ना सबसे ज्यादा जरुरी है इसलिए वे रोजाना 5 अख़बार पढ़ते है.
इतना ही नहीं लक्ष्मण राव पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से भी सम्मानित हो चुके है. उन्होंने बताया कि जब पहली किताब छपवाने के लिए मैं प्रकाशकों के पास गया तो उन्होंने मना कर दिया. एक प्रकाशक ने कहा कि आपके पास प्रतिभा है लेकिन आप पहले पढ़ाई करो. तब मैंने पढ़ाई शुरू की.'
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