52 हजार साल पुरानी है यह झील, ऋग्वेद-स्कंद पुराण में भी है वर्णन
दुनियाभर में कई ऐसी झीलें हैं, जो बहुत अजीबोगरीब हैं। ऐसे में आज हम जिस झील के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे। जी दरअसल जिस झील के बारे में हम बात कर रहे हैं उस झील का नाम लोनार झील है और इस झील को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह झील उल्का पिंड के धरती से टकराने की वजह से बनी थी, लेकिन सबसे हैरानी की बात तो ये है कि वो उल्का पिंड कहां गया, इसका पता अब तक नहीं चल पाया है।
ऐसा कहते हैं कि यह उल्का पिंड करीब 10 लाख टन वजन का रहा होगा और यह झील करीब 150 मीटर गहरी है। जी हाँ, यह सुनने के बाद आप हैरान होंगे लेकिन यह सच है। जी दरअसल 70 के दशक में कुछ वैज्ञानिकों ने इस झील को लेकर यह दावा किया था कि इस झील की उत्पति बुझे हुए (मृत) ज्वालामुखी के गर्त से हुई है। लेकिन उसी के कुछ समय बाद उनका यह दावा गलत साबित हुआ था।
कहते हैं लोनार झील पर हाल ही में हुए शोध में पता चला है कि, यह झील लगभग पांच लाख 70 हजार साल पुरानी है। यानी कि यह झील रामायण और महाभारत काल में भी थी लेकिन 2010 से पहले यह माना जाता था कि यह झील करीब 52 हजार साल पुरानी है, लेकिन इस नए शोध ने सबको हैरान कर दिया। हाल ही में यह भी कहा गया है कि इस झील का उल्लेख ऋग्वेद और स्कंद पुराण में भी मिलता है। वहीं आप सभी को यह सुनकर आश्चर्य होगा कि यहां कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं, जिसमें दैत्यासुदन मंदिर भी शामिल है, जो भगवान विष्णु, देवी दुर्गा और सूर्य देवता को समर्पित है। वहीं यहाँ शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है साल 2006 में यह झील पूरी तरह सूख गई थी, लेकिन उसके बाद वहां खनिजों के छोटे-छोटे टुकड़े चमकते हुए देखे गए थे लेकिन बारिश आ गई और झील फिर पानी से भर गई।
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