गाड़ी के टायर काले ही क्यों होते हैं, जानिए यहाँ?
आप सभी ने अक्सर ही देखा होगा कि टायरों का रंग काला ही होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों टायरों का रंग काला ही होता है. आपको कभी यह नहीं लगा कि गाड़ी के टायर हमेशा काले ही क्यों होते हैं लाल,पीले या सफ़ेद क्यों नहीं होते...? अगर सोचा है और आप जवाब नहीं जानते हैं तो आइए जानते हैं इसका जवाब.
जी दरअसल वैसे तो आप जानते ही होंगे की टायर रबड़ से बनता है लेकिन रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे ? कहते हैं बनाते वक़्त इसका रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है. आप सभी को बता दें कि टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं. वहीं प्राकृतिक रबड़ बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होता और ये घिसता भी जल्दी है टायर जो की सड़क की खुरदुरी सतह पर रगड़ता रहता है. वहीं प्राकृतिक रबड़ का ज्यादा दिन तक टिक पाना मुश्किल है इसलिए इसमें कार्बन ब्लैक मिलाया जाता है इससे ये मजबूत हो जाता है और कम घिसता है कार्बन के अलावा इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है.
वहीं कार्बन ब्लैक के कारण इसका रंग काला हो जाता है जो इसे अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बचाती हैं. आप सभी ने देखा होगा बच्चो की साइकिलों में रंग-बिरंगे टायर देखने को मिल जाते हैं लेकिन वह इसलिए मिलते हैं क्योकि वो ज्यादा रोड पर नहीं चलते और उसमे कार्बन ब्लैक नहीं मिलाया जाता और रबड़ भी निम्न कोटि का लगाते हैं.
पाकिस्तान में है भोले बाबा का मंदिर, 72 साल बाद खुले थे कपाट
इस कारण ट्रैन के आखिरी डिब्बे पर लिखा होता है X
आखिर क्यों मोबाइल टावर पर होती है लाल लाइट