यहाँ टूटकर गिरा था गणेश जी का दांत, जानिए रहस्य
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आप सभी ने इतिहास पढ़ा होगा और कई कथाएं और कहानिया भी जिनमे कई बातों का जिक्र है. ऐसे में बात कैन भगवान गणेश की तो उनसे जुडी भी कई बातें हैं जो आप जानते भी होंगे और नहीं भी. ऐसे में आज हम एक ऐतिहासिक मंदिर के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जो पूरी तरह से भगवान गणेश जी को समर्पित है. कहते हैं यह मंदिर भगवान गणेश के इतिहास को उजागर करता है. कहा जाता है यह मंदिर इसलिए मशहूर है क्योंकि यहां पर भगवान गणेश का एक दांत टूटा था.
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जी हाँ, यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से जितना महत्व रखता है उससे ज्यादा यह प्रदर्शनी के रूप में भी आकर्षित दिखता है. वहीं चारो ओर प्राकृति से सराबोर यह मंदिर दर्शकों का गण बना हुआ है और यह मंदिर प्रकृति की गोद में बसा है. कहा जाता है छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिला से लगभग 30 कि.मी. की दूरी, पर ढोलकल की पहाड़ियों पर 3000 फीट ऊंचाई पर स्थित है और इतनी ऊंचाई पर स्थापित ये प्रतिमा आश्चर्य का विषय है.
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जी हाँ, कहते हैं यहां पर पहुंचना इतना आसान नहीं है और इस मंदिर को लेकर पुरात्वविदों का मानना है, कि 10वीं शताब्दी में नागवंशियों ने गणेश जी की यह प्रतिमा दंतेवाड़ा स्थान की रक्षा के लिए स्थापित की थी. गणेश जी की ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस प्रतिमा की ऊंचाई 6 फीट और चैड़ाई 21 फीट है. वहीं प्राकृतिक और वास्तुकला दोनो ही दृष्टि से यह मूर्ति काफी सुन्दर है और इस प्रतिमा के दाहिने हाथ में फरसा और बाएं में टूटा हुआ एक दांत है. वहीं दूसरी ओर नीचे वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला एवं बाएं में मोदक है. आपको बता दें कि पुरात्वविदों के अनुसार ऐसी प्रतिमा बस्तर इलाके में कहीं नहीं देखी गई है.
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