इन्दौरी तड़का : भिया यहाँ वालो का एक ही डायलॉग है "ये हर बार मेरे साथ ही क्यों होता है"
हाँ बड़े आजकल इंदौर में सबके मुँह पे यई डायलॉग मिलता है जिसे देखो उसके साथ काण्ड हो जाते है और फिर वो यई बोलता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है। बड़े यहाँ पे सबके साथ आए दिन काण्ड और कार्यक्रम होते ही रेते है। और वो बी बड़े वाले हर दिन कोई ना कोई कैसेट उलझ ही जाती है। भिया यहाँ पे लोगो के साथ एक दिन में चार से पांच कार्यक्रम तो निपट ही जाते है जिससे परेशान होक वो दिनभर यई रोना लगाए रेते है की मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है। बड़े कसम से भोत गलत होता है ये इंदौरियों के साथ। बावा इंदौरियों की ज़िंदगी भोत बड़ी लप्पासी कर री है वैसे बी उनके साथ। हर दिन उनको एक ना एक कैसेट में उलझना ही पड़ता है फिर वो अपनी हो या दोस्त की। काण्ड से बी निपटना पड़ ही जाता है।
भिया हर जगे साला ज़िंदगी की वाट लगी रेती है। हर दिन कोई ना कोई ऐसा काण्ड हो ही जाता है जो सोच बी नी सकते बेचारे इंदौर वाले। कबि ना चाहते हुए बी छोरी छोड़ के भग्ग जाती है तो कबि छोरा किसी और छोरी के साथ घूमते हुए मिल जाता है। कबि ना छाते हुए बी ट्रेफिक पुलिस पकड़ लेती है तो कबि पापा रात में मोबाइल चलतए हुए देख लेते है। भिया ऐसे ऐसे गलत काण्ड हो ही जाते है ना चाहते हुए बी हम इंदौरियों की बैंड बज हे जाती है और फिर हमारे मुँह से एक ही बात निकलती है ये हर बार मेरे साथ ही क्यों होता है।
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