इन्दौरी तड़का : बड़े यहाँ पे सब अपनी अपनी गली के दादा है
Indori Tadka : हाओ बड़े राम क्या चल रिया है और सब चकाचक। देखो बड़े ये इंदौर है और यहाँ पे अब अपने अपने ताव में ही रेते है। सबको दादा गिरी करने का भारी शौक होता है। यहाँ पे आप जिसको देखो वो दादागिरी करता रेता है। बड़े ये इंदौर जगे ही ऐसी है यहाँ पे दादागिरी भोत ही नार्मल सी बात है लोग जरा जरा सी बात पे यहाँ पे दादागिरी करते है। यहाँ की हर गली में अपन को एक ना एक तो दादा पेलवान मिल ही जाना है। हर कोई अपनी गली में लपक के श्याणा बन के घूमेगा भले ही घर में माँ के जूते पड़ते हो लेकिन गली में तो बड़े दादा ही है सब। सब के सब एक दूजे पे ऐसे रॉब जमाएंगे की बस कबि। साला खुद चाहे कित्ते बी बड़े वाले कमीने हो लेकिन गली वाले बच्चो को यहीं केंगे की बेटा कबि कोई बुरा काम ना कारिओ मेरी तरह बनिओ।
मतलब कसम से ऐसे ऐसे छिछोरे भरे पड़े है इंदौर में की बस कबि। भिया हर चौक, हर गली, कहीं 56 पे तो कहीं सराफा पे, कहीं पलासिया पे तो कहीं राजवाड़े पे सभी जगे एक से बढ़कर एक दादा पेलवान मिलेंगे और ऐसे ऐसे मिलेंगे की कोई पूछो ही मत। बावा रे भोत बड़े वाले है ये सब के सब इंदौरी। साला सब के सब यहाँ पे पेलवान और दादा ही है कोई को कम ना ही समझो वरना ऐसा सलटाएंगे की पता ही नी चलेगा की तुम गए किधर।
इन्दौरी तड़का : हर बात पे सिर्फ हव बोलते हो तो पक्के इन्दौरी हो तुम
इन्दौरी तड़का : हर बात पे ताव दिखाते हो, तो भिया इन्दौरी हो तुम
इन्दौरी तड़का : इंदौर में प्रॉब्लम नी आती है बस कैसेट उलझ जाती है