जानिए कैसे आता है इंसानों में बुढ़ापा
हम जीवन में कई दौर देखते हुए आते है बचपन से लेकर जवानी, अधेड़ और बुढ़ापा भी. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर हम बूढ़े क्यों होने लग जाते है? तो जानिए कि इसको लेकर साइंस क्या बोलता है और वो कौन सी शारीरिक वजह से, जो हमें वक़्त के साथ या वक़्त के पहले बूढ़ा बनाते हैं. हम बूढ़े क्यों होते हैं इसकी सही सही परिभाषा देना तो कठिन है लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक जब इंसानी शरीर बाहरी तत्वों, धूल मिट्टी, प्रदूषण आदि से संपर्क में आता है तो शरीर की क्वालिटी में गिरावट देखने के लिए मिल रही है. वैज्ञानिकों ने बुढ़ापे को लेकर नौ ऐसे तथ्य निकाले हैं जो की इंसानी शरीर को बूढ़ा करने के कारक हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
पहला कारण- माइटोकॉन्ड्रिया: माइटोकॉन्ड्रिया को शरीर का पावर हाउस भी बोला जात्ता है, वो अपने साथ-साथ बाकी कोशिकाओं की क्रिया को भी नियंत्रित भी कर रहा है. अगर इस माइटोकॉन्ड्रिया की प्रणाली में गिरावट आएगी तो शरीर के कई कार्यों में गिरावट देखने के लिए मिल रही है.
दूसरा कारण- टेलीमियर में गिरावट: शरीर में नई कोशिकाएं बनने का क्रय भी चल रहा है, जिससे की शरीर नया सा रहता है. लेकिन इन कोशिकाओं को सुरक्षित तरह से अलग करने में क्रोमोसोम का बहुत बड़ा ही हाथ देखने के लिए मिल रहा है. कोशिका के डीएनए के अंदर पाए जाने वाले क्रोमोसोम के सिरों पर टेलिमियर नाम का सुरक्षा कवच मौजूद होता है. अब निरंतर कोशिका विभाजन से इस टेलीमियर की मात्रा कम होने लग जाती है. तो शरीर बूढ़ा होने लग जाता है. टेलीमियर के कम होने का नतीजा ये होता है की कोशिकाएं रेपलिकेट होकर नई तो बनती हैं, लेकिन हाल के हाल नष्ट हो जाती हैं. इसका नतीजा होता है, स्किन में झुर्रियां आना, बाल झड़ना, कम दिखाई या सुनाई देना.
तीसरा कारण- स्टेम सेल के रेप्लिकेशन में गिरावट: स्टेम सेल, वह कोशिकाएं हैं जो कि कई तरह की कोशिकाओं में विभाजित होने के भी गुण रखते है. ये शरीर में रिपेयर सिस्टम की तरह काम करती हैं. मुख्यतः तो इनके दो प्रकार होते हैं, एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल और एडल्ट स्टेम सेल. स्टेम सेल शरीर के कई भागों में पाए जाते हैं, लेकिन धीरे धीरे समय के साथ इनका रेप्लिकेशन भी कम हो रहा है. इससे शरीर के अंग अपना काम पहले की तरह अच्छे से नहीं कर पाते हैं और समस्याएं होती हैं. जैसे घुटने में दर्द आदि.