15 जनवरी को है मकर संक्रांति, जानिए इतिहास
हर साल आने वाले मकर संक्राति के पर्व को लोग खूब प्यार देते हैं और इस पर्व के आने के सभी को इंतज़ार होता है. ऐसे में इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है और ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर यह पर्व क्यों मनाया जाता है.
भीष्म पितामाह ने चुना था आज का दिन
इस दिन दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है और इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाने वाला माना जाता है. कहते हैं महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था और मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं.
पौराणिक कथा
कहा जाता है शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था. इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था. पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए. यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की. लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया. इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था. यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया. तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे.