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यहां अपराधियों के मुंह में धधकता लोहा डालकर उनसे उगलवाते हैं सच

the world oldest lie detector test

दुनियाभर में अपराधियों को पकड़ने के लिए 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' की प्रक्रिया सबसे ज्यादा काम आती है. ये एक ऐसी प्रक्रिया होती है जो मशीन द्वारा पूरी होती है और इसमें अपराधियों से सच उगलवाया जाता है. आज तक अपने भी मशीन द्वारा ही 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' देखा होगा लेकिन हम आपको आज एक ऐसे 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' के बारे में बता रहे हैं जो किसी मशीन द्वारा नहीं बल्कि एक ऐसी चीज से किया जाता है जिसके बारे में जानकर आप रोंगटे खड़े हो जाएंगे. 

ये 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' सैकड़ों सालों से चलता आ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मिस्त्र का 'अयिदाह कबीला' सदियों से इस लाई डिटेक्टर टेस्ट का इस्तेमाल करता आ रहा है. जब आप इस लाई डिटेक्टर टेस्ट के बारे में जानेंगे तो आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. इस टेस्ट के तहत सामने वाले व्यक्ति का झूट पकड़ने के लिए अयिदाह कबीले के लोग एक धातु को पहले गरम करते हैं. इसके बाद उस धातु को आरोपी की जीभ पर रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर इस प्रक्रिया के बाद जिस भी व्यक्ति के मुँह में फफोले पड़ जाते हैं तो उसे दोषी मान लिया जाता है. 

इस परम्परा का नाम है 'बिशाह' जो बहुत पुराने समय से चलती आ रहीं है. हालांकि कई कबीलों में ये प्रक्रिया बंद हो गई है लेकिन कई जगह अब तक चलती आ रहीं है. इस परंपरा का एक अजीब सा लॉजिक है. यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि जो व्यक्ति अपराध किया हुआ होता है वो नर्वस रहता है और ऐसे में उसकी जीभ सूख जाती है. इसके बाद जब गरम धातु की छड़ उसकी जीभ से छूती है तो उस पर फफोले पड़ जाते हैं. वो व्यक्ति जो व्यक्ति निर्दोष होता है, उसकी जीभ पर सलाइवा होता है और जब छड़ उससे छूती है तो कुछ नहीं होता.

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