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27 अक्टूबर को है दिवाली, जानिए क्यों मनाते हैं यह त्यौहार

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आप सभी को बता दें कि दिवाली का पर्व सभी के लिए ख़ास होता है और कल यानी 27 अक्टूबर को दिवाली है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है दीपावली का पर्व. इसके पीछे कई कथाएं हैं आइए आज हम आपको बताते हैं.

श्रीराम के अयोध्या आगमन पर दीपोत्सव

रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी. इसी के साथ भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दीपावली मनाई गई थी, हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे. तब से दीपावली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया और हर वर्ष मनाया जाने लगा.

श्रीकृष्ण ने किया नरका सुर का संहार

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से प्रागज्योतिषपुर नगर के असुर राजा नरका सुर का वध किया था और नरकासुर को ​स्त्री के हाथों वध होने का श्राप मिला था. इसी के साथ उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी और नरकासुर के आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की खुशी में लोगों ने दीपोत्सव मनाया था, इसलिए हर वर्ष चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाई जाने लग. इसके अगले दिन दीपावली मनाई गई.

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा

कहा जाता है मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए रखा और इससे इंद्र क्रोधित हो उठे, बारिश और तेज कर दी. वहीं उस गोवर्धन के नीचे सभी ब्रजवासी सुरक्षित थे और श्रीकृष्ण ने सातवें दिन पर्वत को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट मनाने को कहा. इसी के साथ उस समय से दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नूकट मनाया जाने लगा.

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