Trending Topics

इन्दौरी तड़का : भिया पेले ज़िंदगी में दिक्क़ते थी अब दिक्क्तों में ज़िंदगी रे गई है

indori tadka special problems of life

indori Tadka : हाँ बड़े हम इन्दोरियों की ज़िंदगी में दिक्क़ते तो ऐसी भरी पड़ी है की क्या बतऊ। हर जगे पे साला दिक्क्तों का ही भंडारा होता रेता है।  भिया यहाँ पे ऐसी लगी पड़ी रेती है की क्या बतऊ, एक दिक्क्त खत्म नी होती की दूसरी आ टपकती है। इत्ती गुस्सा आती है की लगा दूँ किसी के कान के नीचे दो तीन। भिया यहाँ पे दिक्क्तें शुरू होती है सूबे से सूबे उठो तो फ्रेश होने के लिए इंतज़ार करो क्योंकि कोई ना कोई घुसा ही रेता है वाशरूम में। और उसके बाद फ्रेश हो जाओ तो तैयार होने की दिक्क्त क्योंकि ना कपड़े मिलते है ना कोई और सामान। और उसके बाद घर से निकलो तो ट्रेफिक मतलब यहाँ फंस जाओ तो समझ लो की तुमसे अब कुछ ना हो पाएगा तुम यहीं पे अटके ही रे जाओगे।

उसके बाद जैसे तैसे करके ऑफिस पोच जाओ तो लेट हो जाओ उसमे बॉस की डांट की दिक्क्त साला इत्ता चिल्लाता है जैसे खरीद ही लिया हो। फिर काम करने बैठो तो कलिंग्स की दिक्क्त कोई ना कोई आके माथा खाने ही लग जाता है। और फिर अग्गे देखो लंच टेम पे फिर सब्जियों की दिक्क्त कोई ढंग की सब्जी ही नी लाता है। भिया फिर जैसे तैसे काम कर कर के घर आओ तो टीवी देखने में दिक्क्त किसी को कुछ देखना है और मेको कुछ और ही, और फिर लड़ाई। उसके बाद खाना खाओ तो फिर वोई कबि सब्जी बेकार तो कबि कुछ और ही। अब इतनी दिक्क़ते झेलने के बाद सोने जाओ तो जगे नी मिले तो और दिक्क्त। मतलब मेको तो लगता है की हम इंदौरियों की ज़िंदगी इन दिक्क्तों में ही निकल जाएगी। बड़े कसम से पेले ज़िंदगी में दिक्क़ते थी अब दिक्क्तों में ज़िंदगी रे गई है। 

इन्दौरी तड़का : बड़े अपना तो एक ही गाना है ज़िंदगी बर्बाद हो गिया

इन्दौरी तड़का : माँ से डर नी लगता भिया माँ की चप्पल से लगता है

 

You may be also interested

1