इन्दौरी तड़का : चलो भिया आज वाटरपार्क घूम आते है
हां बड़े ! जित्ती गर्मी यहाँ पे पड़ री है ना कसम से उत्ती कहीं और पड़ जाए तो लोग आत्महत्या कर कर के ही मर जाए। साला भन्नाट किस्म की लपक गर्मी पड़ री है। मन तो कर रिया है शिमला निकल जऊ घूमने एक दो को लेके। बड़े बर्दास्त ही नई होती यार इत्ती जादा गर्मी है। सम्पट ही नई पड़ता की करू तो क्या करू। गन्ने का रस ना होता तो कसम से जान ही चली जाती मेरी तो, और रसना ना होता तो आज कुछ ना होता भिया। भोत जरूरत हो गई है ज़िंदगी में इनकी। बड़े कुछ नई तो यहाँ पे सारा सुकून अपने वाटर पार्क और उज्जयिनी में ही मिल जाता है। एक बार घूम आओ ज़िंदगी भर याद रखोगे।
ऐसा मन करता है घर का सारा सामान लेके वहीँ रेने चली जउ और आराम से फिर ठंड में लौट के अउ। बड़े कबि कबि तो मन करता है अपना घर वहीँ शिफ्ट करवा लूँ और मजे करूँ। बड़े सच्ची कसम से इत्ता मन कर रा है ना जम्मू कश्मीर जाने का की अभी कोई ले जाए तो चली जउ। नई बड़े अब बर्दास्त से बाहर होती जा री है ये साली गर्मी। कोई घुमाने बी नई ले जाता मेरेको। बड़े अब क्या करें इंदौर में ही ऐसी ऐसी जगे है की लोग गर्मियां बिताने यहीं पे आ जाते है। बड़े सच बतऊ इंदौर से अच्छी जगे कोई नी है यार।
इन्दौरी तड़का : बड़े अब तो इन्दौरी नानी के यहाँ जाएंगे
इन्दौरी तड़का : बड़े अगर ऑस्कर में बी अपनाई जाती अपनी इंदौरी
इन्दौरी तड़का : बड़े ! सारे श्याणे इंदौर में ही भरे पड़े है
इन्दौरी तड़का : बड़े इंदौर की तो बात अलग ही है