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पानी पूरी का इतिहास जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

pani puri history

पानी पूरी का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है. पानी पूरी एक ऐसी चीज़ है जिसे देखकर या जिसका नाम लेते ही उसे खाने का मन होने लगता है और लड़कियों के लिए पानी पूरी सबसे ख़ास होता है क्योंकि सबसे ज्यादा पानी पूरी  लडकियां ही खाती हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये पानी पूरी आई कहाँ से, इसे लेकर कौन आया और इसकी खोज किसने और कहाँ की..? अगर सोचा है और आपको नहीं पता है तो आइए आज हम बताते हैं पानी पूरी  का इतिहास. पानी पूरी को अलग-अलग नामों से पहचाना जाता है, जैसे -  गोलगप्पा, पानी-बतासे, फुचका, गुचचुप, पानी टिक्की या फुल्की. पानी पूरी का जिक्र मेगस्थनीज़ और साथ ही चीनी बौद्ध यात्री Faxian और Xuanzang कीक किताबों में पाया गया है. 

कहाँ जाता है कि पानी पूरी को सबसे पहले गंगा के किनारे बसे मगध साम्राज्य में बनाया गया था. उस दौरान पानी पूरी में बहुत से खाद्य पदार्थ मिलाए गये थे जैसे मसलन- पिट्ठो, तिलवा, चिवड़ा आदि. आपको बता दें कि अब मगध साम्राज्य बिहार के नाम से जाना जाता है यानी पानी पूरी का आविष्कार बिहार में हुआ था.

पानी पूरी की एक कहानी महाभारत से भी जुडी हुई है कहा जाता है कि जब द्रोपदी पहली बार अपने पांच पतियों के साथ ससुराल आई थी तब कुंती ने द्रोपदी को कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा था जिससे उनके पांचो बेटों का पेट भर जाए और उसके लिए द्रोपदी ने अपनी कला और ज्ञान का इस्तेमाल कर पानी पूरी बनाई थी जिससे कुंती बहुत खुश हुईं और उन्होंने द्रोपदी को अमरता का वरदान दिया था. 

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