आखिर क्यों किया जाता है हरतालिका तीज का व्रत?
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हर साल हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे का लॉजिक, यानी इसके पीछे की कथा।
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हरतालिका तीज कथा
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन मिलन के मौके पर हर साल तीज मनाया जाता है। भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या को देखकर उनके पिता बहुत दुखी हो गए थे। माता पार्वती की तपस्या देखकर भगवान विष्ण प्रसन्न हुए और उन्होंने महर्षि नारद को माता पार्वती के पिता के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर भेजा। राजा हिमालय महर्षि नारद के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिए। लेकिन जब यह माता पार्वती को पता चलीं, तो वह बहुत दुखी हो गई और उन्होंने सारी बात अपनी सखी से कह डाली।
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जब सखी ने माता पार्वती की पीड़ा सुनीं, तो वह माता पार्वती को घर से चुराकर जंगल की ओर ले गई और वहीं उन्हें तपस्या करने को कहा। माता पार्वती फिर से भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए वही आराधना में लीन हो गई। उन्होंने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और पूरी श्रद्धा के साथ आराधना करते हुए रात्रि जागरण भी किया। माता पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और वह माता पार्वती को दर्शन दिए। तब भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से पूरे संसार में पति की लंबी आयु और मनोवांछित वर प्राप्त करने के लिए कुंवारी कन्या और सुहागिन महिलाएं हरतालिका का व्रत हर साल करने लगीं।
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