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इन्दौरी तड़का : अरे भिया जाओ ना कायको माथा खा रिये हो

indori tadka indori special

इन्दौरी तड़का : भिया अपने इंदौर की तो बात ही निराली है।  यहाँ पे ज्ञान बाटने वाले अपन को इतने मिलेंगे की क्या बताओ। कोई बी आएगा तो ज्ञान बाँटके चला जाएगा। लोगो को यहाँ पे ज्ञान बॉटने में बड़ा मजा आता है। दिनभर यहाँ पे लोगो से ज्ञान बटवा लो।  भिया यहाँ पे लोग माथा भी भोत खाते है। कोई ना कोई आके माथा खाने का ही काम करता है। बड़े यहाँ पे लोगो को फ्री की एडवाइज देने और माथा खाने में भोत मजा आता है। यहाँ पे लोग भोत एबले होते है।  फ्री का सामान इंदौर में काफी अच्छा लगता है फ्री का जहाँ पे भी मिलता है वहां पे लूट मच जाती है। लेकिन यहाँ पे कोई फ्री की एडवाइज नहीं लेता। यहाँ पे लोगो के भोत प्रकार होते है। कोई ऐसा होता है जो सब कुछ एक कान से सुनके निकाल देता है। कोई ऐसा होता है जो सुन के सूना देता है।

कोई ऐसा होता है जो दिनभर मजाक मस्ती में ही डूबा रेता है। कोई ऐसा होता है जिसे दिनभर रीगल, 56 दूकान, पलासिया घूमने के अलावा कोई कर्म काण्ड नी होता है।  मतलब यहाँ पे आपको हर प्रकार एक लोग मिल जाएंगे। बस एक बार तुम गलती से बोल दो की आज कल महंगाई कित्ती बढ़ गई है उसके बाद देखो तुम आस-पड़ोस के जित्ते बी लोग होएंगे ना सब आके माथा चाटने लग जाएंगे। भिया ऐसा नी होना था, भिया भोत बुरा किया सरकार ने, भिया ये, भिया वो मतलब हद करते है लोग। कोई कोई ऐसा होता है जो सुन लेता है और कोई ऐसा जो चिल्लाके बोल देता है भिया जाओ ना कायको माथा खा रिए हो। मतलब भिया इंदौर में आपको बस माथा खाने वाले लोग मिलेंगे।

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