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इन्दौरी तड़का : भिया सम्पट ही नी पड़ रिया है गर्मी है की बरसात

indori tadka its time of rainy or summer not understand

Indori Tadka : हाँ भिया ऐसा ही तो हो रिया है। कबी बारिश तो कबी गर्मी ऐसा लग रिया है इंदौर नी हो गया कोई और ही शहर हो गया सम्पट ही नी पड़ रिया है की करें तो क्या करें। कसम से कबी कबी ऐसी बारिश होती यही की लगता है बरसात का मौसम आ गया है और कबी कबी ऐसी गर्मी पड़ती है की मन करता है कश्मीर के लिए निकल जाओ। रात में ये सोचके छत पे सो जाओ की गर्मी लग री है और उसके थोड़ी ही देर बाद बारिश को झेलो। मतलब गर्मी और बारिश दोनों संग संग पड़ री है। घर से रैनकोट लेके बाहर जाओ या नी जाओ कुछ मालम ही नी पड़ रिया है। बड़े ऐसा सिर्फ इंदौर में ही हो सकता है क्योंकि यहाँ के तो लोग है ही ऐसे ना।

किसी को कोई फर्क नी पड़ता भगवान इनके साथ मजाक करें या इनको उल्लू बनाए। बात तो सई है ना भगवान उल्लू ही तो बना रे है कबि बारिश तो कबि गर्मी अब धीरे धीरे ऐसा होएगा की बारिश, ठंड, गर्मी सब एक साथ आएँगे।  और फिर तो पता नी इंदौर का क्या क्या हो जाएगा। बड़े यहाँ पे लोग सब झेल लेते है भले ही सब एक साथ पड़ जाए सब झेलने को तैयार रेते है यहाँ के लोग। किसी को कोई फर्क ही नी  पड़ता, बस चिल्ला के रे जाते है की ये हो क्या रिया है कबि बारिश कबि गर्मी। 

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