जानिए क्यों इस मंदिर में जाने के लिए महिलाओं की तरह सजते हैं पुरुष?
आप सभी जानते ही होंगे भारत में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जहां के रोचक किस्से और कहानियां चर्चाओं में रहती है. जी हाँ और एक ऐसा ही मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है. आप सभी को बता दें कि ये मंदिर कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर (Kottankulangara Devi Temple) के नाम से प्रसिद्ध है. जी हाँ और इस मंदिर में पुरुषों (Men) का प्रवेश वर्जित है. कहा जाता है यहाँ अगर पुरुषों को मंदिर में माता के दर्शन करने हैं, तो उन्हें महिलाओं के वस्त्र पहनकर 16 शृंगार करना पड़ता है. जी हाँ, सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच है. इस मंदिर के नियमानुसार (Temple Rules) यहां सिर्फ महिलाएं और किन्नर ही प्रवेश कर सकते हैं.
जी दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. उस कथा के अनुसार इस मंदिर में मौजूद कोट्टनकुलंगरा देवी की शिला को पहले चरवाहों ने देखा था. उन्होंने एक नारियल को इस शिला पर मारकर फेंका. नारियल मारते ही शिला से खून बहने लगा. इससे चरवाहे घबरा गए. उन्होंने इस बारे में गांव वालों को बताया तो ज्योतिष विशेषज्ञों को बुलाया गया. उसके बाद ज्योतिष विशेषज्ञों ने बताया कि इस शिला में स्वयं वनदेवी विराजमान हैं और इसी वक्त यहाँ एक मंदिर बनवाओ और इनकी पूजा करो.
कहते है कि जिन चरावाहों को शिला मिली थी, उन्होंने महिलाओं का रूप धारण करके मातारानी की पूजा अर्चना शुरू कर दी और इसके बाद से पुरुषों के महिला रूप में पूजा करने की परंपरा शुरू हो गई. आप सभी को बता दें कि इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां जो भी पुरुष महिला रूप में सोलह शृंगार करके माता का पूजन करता है, उसे धन, नौकरी और संपत्ति के अलावा अच्छी पत्नी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. केवल यही नहीं बल्कि चाम्याविलक्कू त्योहार के दौरान यहां काफी संख्या में पुरुष माता का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.
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