इस वजह से यहाँ भगवान नहीं चमगादड़ों की होती है पूजा
दुनियाभर में ना जाने कितने ही ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अजीब-अजीब परम्पराओं और मान्यताओं के लिए पॉपुलर हैं. मंदिरों को बात की जाए तो भारत में तो ना जाने कितने ही ऐसे मंदिर हैं जहाँ की परम्पराओं के बारे में जानकार काफी हैरानी होती हैं. कई ऐसे मंदिर भी हैं जहाँ लोग भगवान को छोड़कर जानवरों की पूजा करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मदनीर के बारे में बताने जा रहे हैं. जी हम बात कर रहे हैं बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव की. इस गाँव में एक ऐसा मंदिर बना हुआ हैं जहाँ पर भगवान नहीं बल्कि जानवर पूजे जाते हैं. यहाँ पर लोग मंदिर में चमगादड़ की पूजा करते हैं.
लोगों का ऐसा मानना हैं कि यहाँ पर चमगादड़ ही हैं जो उनकी रक्षा करते हैं इस वजह से उनकी पूजा करना स्वाभाविक हैं. लोगों कि मान्यता के अनुसार यहाँ पर चमगादड़ों का वास केवल इस वजह से हैं ताकि वह उनकी रखा कर सके. जनश्रुति हैं कि जहाँ चमगादड़ों का वास होता हैं वहां कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं और साथ ही लोग सुरक्षित रहते हैं.
आपको बता दें कि इस गांव का निर्माण साल 1402 में हुआ था और उसके बाद से ही यहाँ चमगादड़ों का वास हैं और लोगों का मानना हैं कि चमगादड़ यहाँ उनकी रखा के लिए रहते हैं. सबसे ख़ास बात तो यह हैं कि इस गाँव के हर एक व्यक्ति को यहाँ रहने वाली चमगादड़ जानते हैं और अगर को अनजान व्यक्ति यहाँ आता हैं तो वह उसे आने नहीं देते, उसके आते ही वह जोर-जोर से चिल्लातें हैं.
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