आखिर क्यों नीले रंग की होती हैं Flight में सीटें
फ्लाइट में सफर करना थोड़ा खर्चीला होता है, हालाँकि यह सभी के समय को बचाने का करता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ ही घंटों में आप लंबी से लंबी दूरी तय कर लेते हैं. वैसे कुछ दशक पहले जहां हवाई यात्रा अपर क्लास तक सीमित थी, वहीं अब मिडिल क्लास के लोग भी इसका खूब इस्तेमाल करते हैं. हालाँकि आप सभी ने भी फ्लाइट में यात्रा की ही होगी! जी हाँ और अगर की है तो क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि प्लेन के अंदर सीटें अक्सर नीले रंग की होती हैं? जी दरअसल इसके पीछे कुछ जरूरी कारण होते हैं और आज हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं.
जी दरअसल अक्सर लोग यह सोचते हैं कि चूंकि आसमान का रंग नीला होता है, इसलिए प्लेन के अंदर सीटें भी नीली रखी जाती हैं. हालाँकि ऐसा नहीं है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई दशक पहले प्लेन में नीले रंग की सीटों का इस्तेमाल शुरू हुआ था. जी दरअसल ब्रिटिश रिसर्च के अनुसार, नीला रंग विश्वसनीयता और सुरक्षा के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है, इस वजह से अक्सर प्लेन में सीटों का रंग नीला रखा जाता है. सामने आने वाली रिपोर्ट्स के अनुसार, 70 और 80 के दशक में कुछ एयरलाइन्स कंपनियां नीले रंग की बजाय लाल रंग की सीटों का इस्तेमाल करती थी. वहीं इसके बाद ऐसा देखा गया कि यात्रियों के बीच आक्रामकता बढ़ रही है और उन्हें ज्यादा गुस्सा आ रहा है. जी हाँ और ऐसे में एयरलाइन्स कंपनियों ने सीटों का रंग बदल कर फिर से नीला कर दिया.
सामने आने वाली रिसर्च के मुताबिक, नीले रंग का कनेक्शन एयरोफोबिया से भी है. जी दरअसल एयरोफोबिया, वह मानसिक स्थिति है, जिसमें लोग प्लेन में सफर करने से डरते हैं और ऐसे लोगों को फ्लाइट में सफर करने पर डर लगता है और उड़ान भरने के साथ ही उन्हें समस्या होने लगती है. वहीं साइंटिस्ट बताते हैं कि नीला रंग एयरोफोबिया से ग्रसित लोगों को शांत रखने में अहम भूमिका निभाता है. सामने आने वाली रिसर्च में बताया गया है कि 90 फीसदी लोग किसी ब्रैंड के रंगों को देखकर उसे अपनाते हैं और नीले रंग का अपना मनोविज्ञान है. इस वजह से कई कंपनियों के ब्रांड लोगो नीले रंग के होते हैं. दूसरी तरफ फ्लाइट में नीले रंग की सीट इस्तेमाल करने के पीछे एक कारण यह भी है कि हल्के रंगों की तुलना में यह लंबे समय तक इस्तेमाल की जा सकती है.
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