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दादा की मृत्यु से मिली प्रेरणा, बन गए साइंटिस्ट

young guy akash manoj has found technique to calculate chances of silent heart attack

एक दोहा है कि 'होनहार बिरवान के होते चिकने पात' जिसका अनुवाद यह है कि जो लोग होनहार रहते हैं, गुणी रहते हैं वह उनकी कला का नमूना बचपन में ही दिखा देते हैं. ऐसे ही दसवीं के छात्र आकाश मनोज कि कला या कहें आवश्यकता का ज्ञात हुआ जब उनके दादा जी का देहान्त हो गया. साइलेंट हार्टअटैक से उनके दादा जी के मौत ने आकाश को हिलाकर रख दिया. अच्छे खासे तंदुरुस्त दिखने वाले कई लोग इस साइलेंट हार्ट अटैक की चपेट में आ चुके हैं.

 

 

आकाश ने साइलेंट हार्टअटैक के बारे में इतनी स्टडी की कि अब वो इसके पहचानने की तकनीक बना चुके हैं. दरअसल हमारे खून में एक खास तरह का प्रोटीन FABP3 होता है जो इस बात के संकेत देता है कि साइलेंट हार्ट अटैक के कितने चांसेज हैं.

आकाश की तकनीक में एक यूवी लाइट से शरीर को स्कैन करके आपके खून में मौजूद FABP3 प्रोटीन की गणना की जा सकती है. आकाश बताते हैं कि FABP3 प्रोटीन की तासीर निगेटिव होती है, जब यूवी किरणें हमारे त्वचा के ऊपर से गुजरती हैं तो ये उनकी तरफ आकर्षित हो जाता है.

आकाश बताते हैं कि 100 में से सिर्फ 2 प्रतिशत लोग ही साइलेंट हार्ट अटैक से बच पाते हैं. इस तकनीक को कई देशों ने अपना लिया है और 2019 के बाद से इसका इस्तेमाल भी शुरू हो जाएगा.

आठवीं क्लास से ही उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की लाइब्रेरी में जाना शुरू कर दिया था. वो बताते हैं कि, जितनी स्टडी मैटेरियल मैंने पढ़ी है उसकी कीमत करोड़ों में होगी.

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