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जल्द गायब होने वाला है लाल रंग का सेब

How climate change could kill the red apple

हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि सेब का रंग लाल होता है. हमने पढ़ा भी यही है. वैसे तो बाजार में हरे, पीले गुलाबी, नारंगी और इंद्रधनुषी रंग के सेब भी मिलते हैं लेकिन अगर एक आदर्श सेब के बारे में बात करें तो वह लाल रंग का ही माना जाता है. जी हाँ, लेकिन आज के दौर में सेब का ये लाल रंग खतरे में है क्योंकि ये खतरा जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रहा है. कभी मध्य एशियाई देश कजाखिस्तान के पहाड़ी इलाकों में उगते थे और कजाखिस्तान की चीन से लगी पहाड़ी सीमा की ढलानों पर ही ये जंगली सेब उगा करते थे और कभी ये वहां के जंगलों में आबाद भालुओं का पेट भरने के काम आते थे लेकिन, दुनिया भर में जंगली सेबों की आबादी 90 फीसदी तक घट गई है और अब सेब बागानों में ही ज्यादा उगाए जाते हैं. 

जी हाँ, अब इनके जीन से छेड़छाड़ कर नई नई किस्में उगाई जाती हैं इस कारण से जंगली सेबों का भविष्य खतरे में है. जी हाँ, वहीं न्यूज़ीलैंड के वैज्ञानिक डेविड चेग्न कहते हैं कि, ''कई एंजाइम मिल कर किसी सेब का रंग निर्धारित करते हैं. ये वही एंजाइम होते हैं, जो शकरकंद, अंगूर और बेरों का रंग निर्धारित करते हैं.'' इसी के साथ उनका कहना है, ''किसी सेब के एंजाइम का नियंत्रण एक खास किस्म की प्रोटीन तय करती है. वैज्ञानिकों ने इसे MYB10 नाम दिया है. इसकी जितनी मात्रा सेब में होगी, उतना ही उसका रंग लाल होगा. सेब का रंग तापमान पर भी निर्भर करता है. अगर गर्मी ज्यादा होती है, तो सेब का लाल रंग गुम होने लगता है. यानी लाल सेब पैदा करने के लिए मौसम का सर्द होना एक शर्त है. डेविड और उन के साथियों ने देखा था कि एक बार स्पेन में जुलाई का तापमान बहुत गर्म हो गया था, तो सेबों के रंग धूमिल हो गए थे. भले ही आज तरह तरह के सेब बाजार में मिलते हों. मगर, मांग लाल सेब की ही ज्यादा है.''

वहीं इस बारे में वैज्ञानिक डेविड बेडफोर्ड का कहना है कि, ''उन्होंने बचपन से रेड डेलीशस सेब ही खाए थे. उन्हें दूसरे सेबों का स्वाद ही नहीं पता था. हालांकि बाद में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर सेब की एक नई किस्म हनीक्रिस्प को विकसित किया. आज से कुछ साल पहले इसे उगाने के लिए बाजार में उतारा गया. ये पीले रंग का होता है और इस में लाल धारियां बनी होती हैं.'' इसी के साथ वह कहते हैं, ''रेड डेलीशस से अलग किस्म के सेब भले उगाए जा रहे हों, मगर आज भी जोर लाल रंग के सेबों पर ही है. हाल ये है कि हनीक्रिस्प सेब की भी लाल रंग वाली प्रजाति विकसित कर ली गई है.'' डेविड बेडफोर्ड कहते हैं कि ''बाजार में आने वाले हर सेब के साथ यही होता है. हम लाल रंग के ही सेब चाहते हैं. लाल रंग के सेब पीले रंग के सेब से बेहतर ही हों, ये ज़रूरी नहीं है. बल्कि कई बार तो लाल रंग के सेबों का स्वाद पीले रंग के सेबों से खराब ही होता है. लेकिन, दिक्कत ये है कि लाल रंग के सेब ही ज्यादा बिकते हैं. इस चुनौती से बचने के लिए मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक साथ कई सेबों की नस्लें बाजार में उतारी हैं. इस में किसानों के पास रंग चुनने का विकल्प नहीं है.''

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