इन्दौरी तड़का : बड़े आज तो बच्चियों के मजे ही मजे है
हाँ भिया आज तो छोरियों के मजे ही मजे है आज। बड़े आज नवमी है और सारी छोरियां जीमने के लिए जगो जगो जाएंगी और मस्त खाएंगी। अपने इंदौर में तो लपक के बुलाते है छोरियों को खाना खाने हर घर में यहाँ पे कन्या जिमाई जाती है। बेचारी छोरियों का पेट इत्ता ज्यादा भर जाता है कि वो कई पे खा ही नी पाती है बस एक एक पूड़ी खाके आ जाती है वो बी बस इसलिए की उसके बदले में उनको पैसे मिलते है। बड़े इन बच्चियों को इस दिन जगे जगे पे घूमना, खाना, और पैसे और गिफ्ट लेना रेता है बस। हाँ भिया ये छोरियां मजे से खाती है और जगे जगे घूमती है। एक को बुलाओ तो चार दौड़कर आती है।
क्योंकि सब इस दिन खाने में और कमाने में लगी रेती है। बड़े यहाँ पे आज सब जगे पे आज छोरियां ही छोरियां नजर आएगी वो बी मजे से घूमती रेंगी इधर उधर, खाना खाना है तो खाएंगी नी तो नी, बस पैसे लेने के लिए पुरे इंदौर में चक्कर लगाएंगी। बड़े आज तो मजे ही मजे है सभी छोरियों के। कहीं कहीं तो भैरव बाबा को बी खाना खिलाया जाता है अरे मेरा मतलब है की छोरो को। तो कहीं कहीं पे छोरे बी खाते मिल ही जाते है। बड़े अपने इंदौर के लोग कसम से संस्कारी है मजे से ये खुद बी खाएंगे, बच्चियों को बी खिलाएंगे और मस्त मौला नजर आएँगे।
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