इन्दौरी तड़का : भिया सावन चल रिए है, खिचड़ी बटेगी अब तो लपक के
Indori Tadka : हाँ बड़े अपने इंदौर में हर जगे पे लपक के खिचड़ी बटेगी। सब वैसे बी यहाँ पे खिचड़ी लपक के खाते है। सबको खिचड़ी पसंद है फिर वो उपास हो या ना हो खिचड़ी तो जरूर खाएंगे। बड़े यहाँ के लोग एक नम्बर के ऐबले है। यहाँ पे अगर घर में एक का उपास है तो घर में खाना थोड़ी बनेगा सब के सब वई खिचड़ी ही खाएंगे। खिचड़ी तो मानो यहाँ के लोगों की जान हो। बड़े सावन में सब के सब उज्जैन निकल रे है भले ही शिव भक्त हो या ना हो लेकिन जाएंगे जरूर। उज्जैन के रास्तेभर खिचड़ी के मजे लेंगे और वहां जाके बी लपक के सुतेंगे। भिया यहाँ के लोग खाने एक लपक शौकीन है। फिर वो पोहा हो या खिचड़ी।
बड़े सब सूत लेंगे ये इनको बस एक बार दे दो। अभी तो सब माथे पे भारी सा एक त्रिशूल बनवा लेंगे और हर हर भोले, जय महाकाल बोलते ही नजर आएँगे। भले ही भक्त हो ना हो लेकिन हर हर भोले बोलना ऑटो बनता है। बड़े सावन में छोरियां अच्छे पति के लिए व्रत रखती है यहाँ पे तो ये काण्ड छोरे बी करते है। हाँ बावा छोरे बी अच्छी छोरी के लिए व्रत रखते है। इस बात को तो सभी जानते है की इंदौर की छोरियां सुनती बाद में है और बकती पेले है। समझ रिए हो ना भावनाओ को।
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