इन्दौरी तड़का : बड़े आज बुराई पे अच्छाई की जीत का जश्न होवेगा
हां बड़े आज तो दशहरा है सब जगे पे आज रावण दहन होगा। लेकिन रावण क्या सई में बुरा था वैसे शायद नहीं। हम सभी कहते है आज बी दुनिया में कई रावण है लेकिन बावा सीधी बात तो ये है की आज के समय में रावण नहीं है क्योंकि रावण बनना किसी के बस की बात नहीं है। रावण जो था वो बहुत ही अलग था वो अपने दस सर रखता था और सब बाहर रखता था लेकिन आज के लग तो दस चेहरे अपने अंदर छुपा के बैठे है और एक अच्छा सा चेहरा लेकर सामने बैठे है जो कभी बुरा कहा ही नी जा सकता है। रावण में वासना थी लेकिन उसमे सयंम भी था उसने सीता का अपहरण किया लेकिन कभी उन्हें हाथ भी नी लगाया ये उसका सयंम था।
लेकिन आजकल तो बिना अपहरण के ही सीता हरण होता है और साथ ही बहुत कुछ जो अपना सब जानते है। ऐसे में रावण वो नहीं है जिसका हम दहन करते है भिया रावण तो वो है जो आज भी कई लोगो के अंदर है। अपन सब जानते है की राम की वजह से सीता जीवित मिल गई थी पर रावण की वजह से वो पवित्र थी। रावण में भोत अहंकार था लेकिन बन्दे में लपक के पश्चाताप बी भरा हुआ था। लेकिन आजकल के कलयुग में जो रावण है उसमे वो सब नहीं है जो उस रावण में था। आज कलयुग का रावण हवस का पुजारी है, अहंकार का देवता है, पराई स्त्री पे नजर है। ऐसे में वो रावण जलाने योग्य है या आज कलयुग का रावण। बड़े सईसाट बात तो ये है की जैसे राम बनना मुश्किल है वैसे ही रावण बनना बी आसान नी है। बड़े आज के रावण को जलाओ वो रावण को नहीं जो खुद पश्चाताप की आग में जल चुका हो। अगर आज का रावण जलेगा तो अच्छाई की जीत होगी बुराई का नाश।
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इन्दौरी तड़का : हाँ बावा अब तो हर गली में रावण जलेगा