पुनर्जन्म के कुछ अजीबोगरीब अनसुने राज़
क्या आप पुनर्जन्म को सच मानते है... लेकिन पुनर्जन्म होना सच है. आज हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बता रहे है जिसे पढ़ने के बाद आप भी अन्धविश्वास को सच मानने लगेंगे. ये घटना एक मासूम लड़के कि है. इसकी कहानी ने पुनर्जन्म होना सच साबित कर दिखाया है. पहले तो लोग इनकी बातो को अजीबोगरीब मानते थे लेकिन जब इनकी बात की गहराई से खोज की गई तो पिछले जन्म के कई सारे राज सामने आये.
इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म पुनर्जन्म को नहीं मानते है लेकिन हिन्दू पुनर्जन्म को मानते है. मनुष्य का केवल शरीर मरता है उसकी आत्मा हमेशा ही जिन्दा रहती है. कहते है जब मनुष्य मरता है तो उसकी आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में चली जाती है इसे ही पुनर्जन्म कहते है.
पुर्नजन्म की घटना भारत के साथ-साथ कई और भी देशो में देखने को मिलती है. आज हम आपको छत्ता गांव के निवासी बीएल वाष्र्णेय की कहानी बता रहे है. वाष्र्णेय के घर एक पुत्र ने जन्म लिया. उसका नाम प्रकाश रखा. जब प्रकाश 4 साल का हुआ तो एक दिन वो अचानक से कहने लगा कि मैं कोसी कलां में रहता हूं और मेरा नाम निर्मल है. मैं अपने पुराने घर जाना चाहता हूं.
प्रकाश ऐसा कई दिनों तक कहता रहा फिर एक दिन प्रकाश के चाचा उसे कोसी कलां ले गए. यहाँ पहुंचकर प्रकाश को बहुत सी पुरानी बाते याद आ गई. प्रकाश के सभी परिवार वाले चाहते थे कि उनका बेटा पहले की बाते भूल जाये लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
फिर एक दिन निर्मल के पिता भोलानाथ जैन का प्रकाश के गांव जाना हुआ और वहां जाकर पता चला कि प्रकाश उनके मृत बेटे निर्मल के जैसे ही बात करता है. भोलाराम जैसे ही प्रकाश के सामने पहुंचे तो प्रकाश ने निर्मल बनकर उन्हें ऐसी-ऐसी बाते बताई तो निर्मल के अलावा और कोई नहीं जानता था. इस घटना के बाद सभी को पुनर्जन्म पर विश्वास होने लगा.
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