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7 मई को है परशुराम जयंती, जानिए उनके जन्म की कथा

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वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इस बार अक्षय तृतीया 7 मई को है. जी हाँ, वहीं इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. जी हाँ, भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठे अवतार है. ऐसे में परशुराम को आज भी जीवित माना जाता है. कहते हैं भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं, इन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था और केवल इतना ही नहीं इनके क्रोध से भगवान गणेश भी नहीं बच पाये थे. जी हाँ, कहा जाता है परशुराम ने अपने फरसे से वार कर भगवान गणेश के एक दांत को तोड़ दिया था जिसके कारण से भगवान गणेश एकदंत कहे जाते हैं. वहीं मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन जो कुछ दान करते हैं वह अक्षय रहता है इसका मतलब है कि इस दिन किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं हो पाता है. वहीं सतयुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया से ही माना जाता है. तो आइए जानते हैं किस कारण से वह कहलाए थे परशुराम.

जी दरअसल पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ. यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को एक बालक का जन्म हुआ था.

वह भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण करने के कारण वह परशुराम कहलाए.

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