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इन्दौरी तड़का : भिया किसी का बाप भी इंदौरियों को पटाखे फोड़ने से नी रोक सकता

indori tadka : bhiya kisi ka baap bhi indoriyon

हाँ बड़े इंदौरी रुकने वाले तो है नी चाहे कोई कित्ता भी रोक ले।  बड़े इंदौरियों को पटाखे फोड़ने का अच्छा ख़ासा शौक होता है और जित्ते पटाखे ये फोड़ते है ना उत्ते कोई बी फोड़ ही नी सकता है।  इन्दोरियों को तो हर त्यौहार पे पटाखे की जरूरत लगती है इनको हर दिन पटाखे की जरूरत होती है इंडिया जीत गई तो पटाखे, होली पे पटाखे, बड्डे पे पटाखे, मतलब साला कोई मरने के लिए जा रिया हो ना तो बी इनको पटाखे चिए ही होते है। ऐसे में पटाखे फोड़ना तो जैसे इंदौरियों का रिवाज हो गया है हर कार्यक्रम में, हर काण्ड में इनको फुलझड़ी लगती ही है। और बम तो इनके हाथो से ऐसे छूटते है की क्या बोलो।  यहाँ पे लोग हाथ में ही पटाखे फोड़ लेते है फिर हाथ जले या पैर इनको कायकी नी पड़ी होती है इनको बस पटाखे से मतलब होता है।

बावा इंदौरी काण्ड में बी नंबर एक पे है और पटाखे छोड़ने में बी नंबर एक पे है। मतलब इंदौरी तो है ही ऐबले अब इनको कोई कहा नी जा सकता है। बड़े इंदौर के लोगो की चले तो वो अबी से ही पटाखे फोड़ने लग जाए मतलब ऐसे है ना की क्या कहूं अबी से  ही मरे जा रिए है की दिवाली आए और मैं पटाखे फोड़ू। बड़े यहाँ तो ऐसे ऐसे डबल मीनिंग लोग है ना की पटाखे फोड़ू को बी "पटा के छोड़ू" बना दिया है। मतलब अब क्या बोलो इंदौरियों को कसम से सब एक नंबर के बकचोदी करने बैठे रेते है।   

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