इस वजह से लगता है सूर्य ग्रहण
आप सभी जानते ही हैं कि आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण था. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सूर्य ग्रहण क्यों लगता है.
आप सभी को बता दें कि सूर्य ग्रहण तभी लगता है जब चंद्रमा घूमते हुए सूरज और पृथ्वी के बीच आ जाता है और इसका सीधा मतलब ये हुआ कि दिन के समय चंद्रमा जब भी घूमते हुए सूरज और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है तो हमें सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है. कहते हैं पूर्ण सूर्य ग्रहण धरती पर कहीं न कहीं करीब हर डेढ़ साल में एक बार लगता है जबकि आंशिक सूर्य ग्रहण धरती पर साल में कम से कम दो बार लगता है. कहा जाता है चंद्रमा जब पूरी तरह से सूरज को ढंक लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं. वहीं कई बार ऐसा भी होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढक नहीं पाता और उसे बीच से या उसके कुछ हिस्से को ढकते हुए गुजरता है तो इस ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण देखने के लिए सबसे जरूरी ये है कि आप ग्रहण के समय धरती के उस हिस्से में रहे जहां सूरज की रोशनी पहुंच रही हो और सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते हैं- पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण. ऐसे में पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय लगता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढक लेता है और आंशिक तब जब सूरज का केवल कुछ भाग ही चंद्रमा के पास जाता है. वहीं जब सूर्य के बाहर का गोलाकार क्षेत्र प्रकाशित होने की वजह से किसी चमकते अंगूठी या कंगन के जैसा नजर आए तो इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं.
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