अपराधी को फांसी पर लटकाने से पहले उसके कान में यह कहता है जल्लाद
आप सभी जानते ही हैं कि हमारे देश में किसी भी मुजरिम को फांसी दी जाती है तो उसके पहले कुछ औपचारिकता होती हैं जिन्हे करने के बाद ही उस आरोपी को फांसी पर लटकाया जाता है. ऐसे में फांसी पर लटकाने के भी कुछ नियम होते हैं जैसे फांसी हमेशा सुबह के समय ही दी जाती है और फांसी देने के पहले मुजरिम के कान में जल्लाद कुछ कहता है और उसके बाद उसे लटका दिया जाता है. जी हाँ, बहुत से लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि आखिर जल्लाद क्या कहता है. ऐसे में अगर आप भी नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको बताते हैं कि क्या कहता है जल्लाद.
सुबह क्यों दी जाती है फांसी
कहते हैं फांसी का वक्त सुबह-सुबह का इसलिए होता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद किए जाते हैं. वहीं फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभानित ना हो ऐसा इसलिए किया जाता है.
फांसी से पहले जल्लाद कहता ये बात
कहते हैं फांसी देने के कुछ समय पहले जल्लाद अपराधी के कान में माफ़ी मांगता है और कहता है कि “मुझे माफ़ कर दो, मैं मजबूर हूँ” और इसी के बाद उस अपराधी को फांसी दे दी जाती है. आप सभी को बता दें कि अगर मरने वाला कैदी हिन्दू रहता है तो जल्लाद उसको “राम राम” बोलता है और अगर मरने वाला व्यक्ति मुस्लिम रहता है कि जल्लाद उसको अंतिम “सलाम” बोलता है. इसी के साथ ही जल्लाद उनसे कहता है कि “मैं सरकार के हुकुम का गुलाम हूँ इसलिए चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता”.
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