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श्री कृष्णा से मिलने के लिए भोलेनाथ ने की थी 12 हज़ार साल तक तपस्या

bholenath tapasya for meeting narayan

इतिहास की ऐसी कई कहानियां हैं जो आप सभी ने शायद कभी नहीं सुनी होंगी. ऐसे में आप सभी शायद ही जानते होंगे कि भागवतपुराण में एक कहानी प्रचलित हैं जिसके मुताबिक द्वापर युग में भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर स्वर्गलोक में सभी देवतागण भगवान कृष्ण से मिलने के लिए व्याकुल थे लेकिन भगवान कृष्ण का जन्म किसी उद्देश्य के लिए हुआ था. जी हाँ, और उसे पूरा करने के बाद ही भगवान कृष्ण वैकुंठ लौट सकते थे. वहीं देवताओं के कृष्ण से मिलने की एक कहानी के अनुसार शिव ने भगवान कृष्ण के दर्शन मात्र के लिए घोर तपस्या की थी और आज हम आपको उसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं

कथा

एक दिन कैलाश पर्वत पर विराजमान शिव की तीव्र इच्छा भगवान कृष्ण से मिलने की हुई और वह बिना किसी को कुछ बताए, भगवान कृष्ण से मिलने गोकुल पहुंच गए. कहा जाता है वहां उन्होंने एक साधु का रूप धारण कर लिया मगर विषपान करने के कारण शिव का नीला पड़ चुका रंग इसलिए वे साधु के वेश में भी नीले ही प्रतीत हो रहे थे. वहीं माता यशोदा ने जब साधु का रूप धारण किए शिव को देखा, तो उनका रूप देखकर वो बहुत ही भयभीत हो गए और उन्होंने ममतावश अपने पुत्र कन्हैया को शिव से मिलने नहीं दिया और वहां से आदरपूर्वक प्रस्थान करने के लिए कह दिया. कहते हैं शिव ने श्रीकृष्ण से मिलने के लिए, मथुरा स्थित बने एक ताल के पास बैठकर तपस्या करनी प्रारंभ कर दी. 

वहीं उन्हें विश्वास था कि एक दिन भगवान कृष्ण इस ताल के पास जरूर आएंगे और शिव ने 12 हजार सालों तक भगवान कृष्ण से मिलने की प्रतीक्षा की. कहते हैं 12 हजार सालों के बाद भगवान कृष्ण, शिव से मिलने मथुरा के उस ताल पर गए और भगवान कृष्ण शिव के प्रेम को देखकर बहुत अधिक प्रसन्न हो गए और उन्होंने मथुरा स्थित इस ताल का नाम, शिवताल रख दिया.

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