इन्दौरी तड़का : क्या यार भिया ये पतंजलि वाला तो मान ही नी रिया है
हाँ यार बड़े ये पतंजलि वाला तो मान ही नी रा है दे दना दन पतंजलि के प्रोडक्ट्स छापे जा रिया है। मतलब सम्पट ही नी पद रिया है कि हो क्या रिया है दुनिया में। बड़े जिसे देखो वो पतंजलि के प्रोडक्ट खरीदने में जुटा हुआ है दे दना दान प्रोडक्ट की खरीदी हुए जा री है और रामदेव बाबा को तो कोई समझा ही नी रिया है वो बी धड़ल्ले से प्रोडक्ट पे प्रोडक्ट बनाए जा रिया है।
भिया हद होती है किसी चीज़ को बनाने की मतलब साबुन, फेसवाश, घी, तेल, चूरन, आता, पावडर, बिस्किट, कैचप, मंजन सब का सब पतंजलि-पतंजलि-पतंजलि। मतलब जली-जली-जली और जल-जल के राख नहीं हुई। बड़े कसम से ऐसा मन करता है की जाके बोल दो की जो बचा कुचा है बिन पतंजलि के रे गया है उसको बी बना डालो कायको इत्ती मगजमारी करवा रिए हो।
बड़े कसम से पता नी दुनिया का हो क्या गया है जिसे देखो आजकल बस पतंजलि के सामन खरीद रा है यहाँ तक की बेचारी हमारी मैगी बी पतंजलि की कर दी वोई तो गरीबो का सहारा थी अब वो बी बदल गई रे बावा। पतंजलि सुन सुन के ऐसा हो गया है की कोई जली बोलता है तो बी पतंजलि ही सुनाई पड़ता है।
इन्दौरी तड़का : भिया अपने बेस्ट फ्रेंड से जादा ऐबला कोई नी होता
इन्दौरी तड़का : हाँ भिया तो पद्मावती के बारे में अपना क्या केना है