इन्दौरी तड़का : बड़े अपने इंदौर में दिवाली के फटाखे अबी से फूटने लगे
भिया पता नी क्या चाते है ये इंदौर वाले। मतलब हद होती है अबी से कौन फटाखे फोड़ता है। साला मतलब हद ही हो गई कसम से अबी से घर के बाहर निकलो नी की फट फट, धड़ाम जैसी आवांजे आने लगी है। मतलब इंदौर वाले तो मानते ही नी है अबी भोत लम्बे दिन है दिवाली आने में लेकिन नी इन्दोरियों तो साले अबी से शुरू हो गए है अबी से साला रोज फटाखे पे फटाखे। बड़े हर जगे पे अबी से फटाखे पे फटाखे फूटने लगे है। एक तो ये इंदौरी कुछ सुनते बी नी है अगर तुम इनको मना करोगे तो ये तुम्हारे सर पे चढ़कर नाचने लगेंगे। साला मतलब इत्ती हद कौन करता है यार भाई।
अबी से कौन दिवाली मनाता है ना जाने इन इंदौरियों को क्या मजा आता है साला ऐसे ही रोज ज़िंदगी बर्बाद होती जा री है और दिवाली जो ख़ुशी है वो ये सब अबी से फटाखे फोड़ फोड़ के मारे जा रिए है। बड़े कसम से भोत परेशान कर दिया है इन इंदौर वालों ने हालाँकि मैं बी इंदौरी ही हूँ लेकिन ये दिवाली के दस दिन पेले से फटाखे फोड़ने वाला चुतियापा मैंने नी किया ना मेरे से होगा। बड़े अपन तो दिवाली वाले दिन ही फोड़ ले वोई भोत बाद बात हो जाएगी। वैसे बी जब अपना इंदौर सफाई के मामले में नंबर एक पे है तो क्यों ना प्रदूषण फ्री के मामले में बी उसको नंबर एक पे लाने का काम करो न बावा कायको फटाखे जला के प्रदूषण करना।
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