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मुग़ल सरकार ऐसे करते थे क्रिसमस का सेलिब्रेशन

How Mughal Celebrate Christmas Akbar

दिल्ली के साथ ही दूसरे शहरों और उनके होटलों में क्रिसमस का जश्न आज भी मनाया जाता है और कई ऐसे मुगल शासक भी थे जो क्रिसमस मनाते थे. जी हाँ, अकबर से लेकर शाह आलम तक के मुगल शासकों ने क्रिसमस मनाया है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. जी दरअसल मध्ययुगीन यूरोप में क्रिसमस का जन्म हुआ था लेकिन उत्तर भारत में इसकी शुरुआत अकबर के समय हुई जिसने एक पादरी को आगरा में अपने राजदरबार में आमंत्रित किया था. कहा जाता है मुगलकाल में आगरा पूर्व का सबसे आलीशान शहर था और दिवंगत लेखक थॉमस स्मिथ ने कहा था कि, ''जो भी यूरोपवासी इस जगह पर आता था वो इसकी गलियों की चकाचौंध, व्यापार की समृद्धि और हार की तरह महलों के साथ सजी यमुना नदी की ख़ूबसूरती को देखकर प्रभावित हो जाता था.'' 

आपको बता दें कि उस समय में आगरा में क्रिसमस का रंग साफ़ नजर आता था. वह कहते थे, "यह एक महानगर था जिसमें इटली के सुनार, पुर्तगाल और डच के जहाज के मालिक थे. फ्रांस के पर्यटक, व्यापारी और मध्य एशिया एवं ईरान के कारीगरों समेत मध्य पूर्व के विद्वान आगरा का दौरा करते थे." वहीं अधिक विदेशियों के होने के कारण उन दिनों क्रिसमस एक बड़ी चीज हुआ करता था और फ्रांसिस्कन एनल्स बताते हैं कि "एक जनसमूह की खुशी पूरे शहर में फैली रहती थी."

उस दौरान "तुरही, शहनाई बजती थी, पटाखे फूटते थे और चर्च का घंटा बजता था." उस समय अकबर ने पादरी को शहर में एक भव्य चर्च बनाने की अनुमति दी थी जिसमें कई भारी घंटे लगे थे और उसमें से एक अकबर के बेटे जहांगीर के शासनकाल में गिर गया. कहा जाया है कोतवाली शहर में इसको एक हाथी भी नहीं ले जा सकता था और यह घंटा जहांगीर के भतीजे के लिए हुए एक भव्य कार्यक्रम के दौरान टूट गया. 

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