इन 6 जगहों पर होता है जन्माष्टमी का खास नजारा
पुरी (Puri)
यहां का जगन्नाथ मंदिर काफी प्रसिद्द है। आपको बता दे भगवान जगन्नाथ को, भगवान कृष्ण को अपने भाई-बहनों, बलराम और सुभद्रा के साथ रहने के लिए कहा जाता है। पूरी में हर साल जन्माष्टमी समारोह जन्माष्टमी के दिन से 17 दिन पहले शुरू होता है। यहां रात में प्रार्थनाएं और भजन आयोजित किये जाते हैं जो बहुत ही खास होता है जिसमे इसके आखिरी दिन में कंस वध भी बताया जाता है।
उडुपी (Udupi)
दक्षिण भारत में अगर आप जाट हैं तो यहां सबसे खास है उडुपी। डुपी के श्री कृष्ण मठ केंद्र में मुख्य मंदिर और इसके आस-पास के 8 अन्य मठों के साथ एक विशाल मंदिर है। उडुपी में जन्माष्टमी में क्षेत्रीय प्रभाव का एक स्पर्श है। साथ ही इस खास मौके पर उडुपी की सड़कों पर भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की कहानियों को प्रदर्शित करने वाले नाटक का आयोजन किया जाता है। जन्माष्टमी की रात में नृत्य, गायन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इस जन्माष्टमी जानिए श्री कृष्ण से जुड़ी कुछ बातें
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