इस वजह से प्रशांत महासागर और माउंट एवरेस्ट के ऊपर से नहीं उड़ते हवाई जहाज़
आप सभी ने कई बार देखा होगा उड़ते हुए हवाई जहाज को लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं हवाई जहाज़ से जुड़े कई फ़ैक्ट्स. आइए जानते हैं.
कहा जाता है ज़्यादातर Commercial Planes के पायलट प्रशांत महासागर और माउंट एवरेस्ट के ऊपर से उड़ान भरने से पीछे हो जाते हैं क्योंकि हिमालय की चोटियां 20 हज़ार फ़ीट से ऊंची हैं और माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई तो 29,035 फ़ीट है. ऐसे में ज़्यादातर Commercial Planes 30,000 फ़ीट पर ही उड़ते हैं. कहा जाता है हिमालय से बहुत लम्बी दूरी बनाने के लिए हवाई जहाज़ों को और ऊपर जाकर Stratosphere के निचले हिस्से में उड़ान भरनी होगी. क्योंकि यहां ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है और इससे Air Turbulence होने लगता है और यात्रियों को असहजता महसूस हो सकती है. इसी के साथ पहाड़ों के आस-पास हवा भी तेज़ होती है और जहाज़ को उड़ाना कठिन होने लगता है इस कारण वह माउंट एवरेस्ट और हिमालय के ऊपर से नहीं उड़ते हैं.
कहा जाता है हवाई जहाज़ों के लिए Curved Route ज़्यादा सुरक्षित है क्योंकि ऐसे में हवाई जहाज़ पानी नहीं बल्कि धरती के ऊपर उड़ेंगे. ऐसा होने पर इमरजेंसी लेंडिंग करने में भी आसानी होगी और इमरजेंसी लेंडिंग फ़्लैट सरफ़ेस पर ही की जाती है. कहते हैं हिमालय क्षेत्र में फ़्लैट सरफ़ेस नहीं है और वहां सिर्फ़ पहाड़ की चोटियां ही हैं. इसी वजह से हिमालय क्षेत्र में जनसंख्या कम होने की वजह से रडार सर्विस भी न के बराबर है और पायलट ज़मीन से कम्युनिकेट नहीं कर सकता. कहते हैं हिमालय के ऊपर से भारतीय वायु सेना और पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फ़ोर्स भी ट्रेनिंग सेशन करते हैं और ये Commercial Airlines को रेस्ट्रिक्ट करते हैं. वहीं प्रशांत महासागर पर उड़ान न भरने का मुख्य कारण यही है कि इसका क्षेत्रफल काफ़ी ज़्यादा है और हवाई जहाज़ का ज़मीन के ऊपर उड़ान भरना ज़्यादा सेफ़ है.