इस वजह से कोई हवाई जहाज तिब्बत के ऊपर से नहीं गुजरता
हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि तिब्बत, भारत और चीन के मध्य में पड़ोसी देश है. ऐसे में तिब्बत पूरी दुनिया में अपनी अलग ही पहचान रखता है फिर वो चाहे आध्यात्मिक दृष्टि से हो या फिर पर्यटन की दृष्टि से. ऐसे में कहा जाता है समुद्र से काफी ऊॅंचाई पर होने और विशालकाय पर्वत शृंंखलाएं से घिरा होने के कारण तिब्बत को एक ओर नाम से जाना जाता है और इसलिए इसे दुनिया की छत भी कहा जाता है. कहते हैं तिब्बत पृथ्वी के उन विशेष भागों में से एक है जहॉं विमान की सेवा बहुत ही कम है.
इसी के साथ ऊॅंचाई पर होने के कारण इसके ऊपर से विमानों का उड़ पाना असंभव सा है और इस वजह से यहॉं विमानों की आवाजाही ना के बराबर ही है. कहा जाता है इस बारे में विमान विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय दी है और टिम हिब्बेट्स जो कि एक विमान विशेषज्ञ हैं उनका कहना है कि यह दुनिया का सबसे कम दाब वाला क्षेत्र है जिस वजह से यात्रियों के लिए सिर्फ 20 मिनट तक ही ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सकती है. जी हाँ, उन्होंने कहा ’आपातकाल की स्थिति में इतने कम समय में बड़ी संख्या में लोगों को बचा पाना बिल्कुल भी संभव नही है और कैथे पैसेपिक के द्वारा तिब्बत का दूसरा मार्ग संभव हो पाया है.’
इसी के साथ एयरलाइन के विशेषज्ञ का कहना है कि तिब्बती पठार के उपर हवाई यातायात इसलिए संभव नही है कि क्योंकि इस क्षेत्र में हवा की कमी है इसलिए एक विमान के लिए उड़ पाना वहां संभव नही है. वहीं उन्होने बताया कि भारत और चीन के बीच में पारस्परिक हवाई सेवांए बाकी देशों की तुलना में कम है लेकिन दोनो देश एक-दूसरे के पडोसी हैं फिर भी दोनों देशों की संस्कृति बिल्कुल अलग-अलग है. इसी के साथ इस विषय पर एक विशेषज्ञ का कहना है कि तिब्बत का वातावरण बाकी हवाई मार्गों की तुलना में बेहद भिन्न है क्योंकि ऊॅंचाई पर होने और माउन्ट एवरेस्ट से नजदीकी होने के कारण जेट धाराएं तेजी से चलती है जिससे एक विमान के लिए इतनी तेज गति की धाराओं का सामना कर पाना किसी खतरे से खाली नही है. आप सभी को बता दें कि तिब्बत में हवाई पट्टी इतनी संकीर्ण है कि अब तक दुनिया में केवल 8 पायलट यहां विमान उतार पाने में सक्षम हो पाए.
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