सूरज के बारे में यह बात नहीं जानते होंगे आप
हम सभी ने कई बार सूरज को देखा है। जी हाँ, कभी वह पीला दिखता है, तो कभी लाल।।। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर इसका असल रंग क्या है और यह अलग-अलग रंग में क्यों दिखता है।।।।? वैसे आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। जी दरअसल तेज़ चमकने वाले सूरज को लाल रंग में बदलते कई लोगों ने देखा है। वैसे ऐसा अक्सर तभी होता है जब सूरज या तो उगता है या अस्त होता है। वैसे ऐसे समय में ही सूरज का रंग लाल हो जाता है, और आसमान संतरी या गहरा लाल या बैंगनी हो जाता है।
वैसे यह बहुत ही ख़ूबसूरत नज़ारा होता है जिसे देखते रहने का मन करता है। इस दौरान आसमान चलायमान होता है, लेकिन, असल में इसके पीछे पूरी तरह वैज्ञानिक कारण हैं।
जी दरअसल कहा जाता है रेली स्कैटरिंग (प्रकाश का प्रकीर्णन) के कारण यह सब होता है। 19वीं सदी में ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी लॉर्ड रेली प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना के बारे में बताया था और वह इसके बारे में बताने वाले पहले व्यक्ति थे। आपको बता दें कि प्रकाश का प्रकीर्णन वह प्रक्रिया होती है, जिसमें जब सूर्य का प्रकाश सूर्य से बाहर निकलकर वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो धूल और मिट्टी के कणों से टकराकर चारों तरफ फैल जाता है। इस ख़ूबसूरत दृश्य के बीच सूरज को सीधे आँखों से नहीं देखना चाहिए बल्कि इसके लिए दूरबीन का इस्तेमाल करना चाहिए। जी दरअसल कहा जाता है जब क्षितिज पर सूर्य का ताप कम होता है, तो प्रकाश की नीले और हरे रंग की तरंगें बिखर जाती हैं, और ऐसे में हमें बची हुईं प्रकाश की नारंगी और लाल तरंगें ही दिखाई देती है।
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