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वैज्ञानिकों ने बनाया सुपर टमाटर, जानिए कैसे और क्या है खास?

Super tomato is genetically engineered to produce as much vitamin D as two EGGS and help ward off cancer and dementia study finds

वैज्ञानिकों ने सुपर टमाटर (Super Tomato) विकसित किया है. जी हाँ और उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह खास तरह का टमाटर है. इस टमाटर में उतना विटामिन-डी (Vitamin-D) है जितना दो अंडों में होता है. केवल यही नहीं बल्कि यह बच्चे और वयस्क की रोजाना की विटामिन-डी3 की जरूरत को पूरा कर देगा. इसी के साथ यह भी कहा गया है कि, यह इंसानों में कई बीमारियों जैसे- कैंसर (Cancer), डिमेंशिया और पार्किंसंस डिजीज के पनपने के खतरे को कम करेगा. आपको बता दें कि इस टमाटर को तैयार करने वाले नॉर्विक के जॉन इंस सेंटर के वैज्ञानिकों का कहना है, दुनियाभर ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जो विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं.

कैसे बना सुपर टमाटर?

जी दरअसल ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है, इस सुपर टमाटर को जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से तैयार किया गया है. अगर हम इसको बहुत ही आसान भाषा में समझें तो हर पौधे और इंसान का अपना एक जीन होता है. जी हाँ और जीन में बदलाव करने पर उस चीज में भी परिवर्तन होने लगते हैं. इसी को ही जेनेटिक इंजीनियरिंग कहते हैं. आपको बता दें कि सुपर टमाटर के जीन में ऐसा ही बदलाव किया गया है कि इससे अधिक विटामिन-डी3 मिल सके. वहीँ इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए इसमें इतना बदलाव किया गया है कि यह दो अंडे या 28 ग्राम टूना फिश से मिलने वाले विटामिन-डी की कमी पूरी कर सकता है.

क्यों खास है यह टमाटर?

सामने आने वाली एक रिपोर्ट को देखे तो दुनियाभर में करीब 100 करोड़ लोग विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं. इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां बढ़ती हैं. आप तो जानते ही होंगे विटामिन-डी आमतौर पर सुबह-सुबह सूरज की हल्की धूप में बैठने पर शरीर में बनता है, लेकिन सर्दियों के दिनों में धूप नहीं मिल पाती इसलिए विटामिन-डी की कमी हो सकती है. इसी के चलते विटामिन-डी की कमी पूरी करने के लिए मछली, रेड मीट, अंडे पर निर्भर रहता पड़ता है. आपको बता दें कि ब्रिटेन में हर 6 में से एक इंसान विटामिन-डी की कमी से जूझ रहा है और इसी के चलते सुपर टमाटर इसका अच्छा सोर्स हो सकता है.

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