इंदौरी तड़का : बड़े इस टेम तो बस लस्सी और कोक मिल जाए, भोत है
बड़े इंदौर में ऐसी गर्मी पड़ री है की बिना लस्सी और बिना कोक के तो ज़िंदगी कटेगी ही नी। हो कसम से इत्ती गर्मी पड़ री है की बस कबि। क्या बोलो अब। इंदौर में ही इत्ती गर्मी पड़ री है की कहीं और बी साला यहीं सोच सोच के आधा दिन निकल जाता है। और ऐसी गर्मी में ना जाने पसीना कहाँ से आ जाता है। पसीने से ही नहा लेओ तो नहाने का बी मन नई होता है। और अगर नहाने घुस जाओ तो पानी में से बाहर आने का मन नी होता। कसम से ऐसे लगता है जैसे पानी ही बचा है ज़िंदगी में बस और कुछ तो होना ही नी है। बड़े क्या बतऊ, ज़िंदगी झंड हो रखी है। गर्मी ने तो सबकी ले ली है और ऐसी ले ली है की लोग घर से निकलने में बी मरे जा रिए है।
घर से बाहर एक कदम निकालने को कोई तैयार नी है। गर्मी तो बर्दास्त ही नी होरी है। घर में बी कूलर की हवा में बैठो तो ठीक और जरा सा कूलर बंद हुआ नी की ऐसी गर्मी लगती है की जैसे मिर्ची लगा दी हो कोई ने। बड़े क्या बोलो इस गर्मी को जाने को तैयार ही नी है बारिश बी होरी है लेकिन गर्मी नी मानेगी तो नी मानेगी। और तो और इस बारिश ने भी अपने दिन बना लिए है सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को ही बरसती है बाकी दिन बाबाजी का ठुल्लू।