इस दरवाजे को कहते हैं मौत का दरवाजा
मौत तो सभी को आना है लेकिन खुद मौत लाने के लिए लोग ऐतिहासिक जगहों पर चले जाते हैं जहाँ जाने से उन्हें मना किया जाता है. आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में जिसे मौत का दरवाजा कहा जाता है. जी हाँ, आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऑस्त्विज कैंप के बारे में जिसके बाहर ही एक बड़ा सा लोहे का दरवाजा है और उस दरवाजे को 'गेट ऑफ डेथ' यानी 'मौत का दरवाजा' कहते है. कहा जाता हैं कि बड़ी संख्या में यहूदी लोगों को रेलगाड़ियों में भेड़-बकरियों की तरह लाद कर उसी दरवाजे से यातना शिविरों में ले जाया जाता था और उसके बाद उन्हें ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. जी दरअसल 'ऑस्त्विज कैंप' को इस तरह बनाया गया था कि वहां से भाग पाना नामुमकिन था.
वहीं कैंप के अंदर यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों और समलैंगिकों से जबरन काम करवाया जाता था. इसी के साथ बूढ़े और बीमार लोगों को कैंप के अंदर बने गैस चेंबर में डालकर जिंदा जला दिया जाता था. कहा जाता हैं कि ऐसे ही लाखों लोगों को इन गैस चेंबरों में डालकर मार दिया गया था. जी हाँ, वहीं ऑस्त्विज शिविर के परिसर में ही एक दीवार है जिसे 'वॉल ऑफ डेथ' यानी 'मौत की दीवार' कहा जाता है. जी दरअसल इस दीवार पर लोगों को बर्फ के बीच खड़ा कर गोली मार दी जाती थी. जी हाँ, वहीं नाजियों ने ऐसे हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा था.
जनश्रुति है कि साल 1947 में नाजियों के इस यातना शिविर को पोलैंड की संसद ने एक कानून पास कर सरकारी म्यूजियम में बदल दिया. कहा जाता हैं कि म्यूजियम के अंदर करीब दो टन बाल रखे गए हैं और मरने से पहले नाजी यहूदी और अन्य लोगों के बाल काट लेते थे ताकि उनसे कपड़े वगैरह बनाए जा सकें. वहीं यहाँ कैदियों के लाखों चप्पल-जूते और अन्य सामान भी म्यूजियम में रखे हुए हैं.
भाई यहाँ मिल रहे हैं 7.5 लाख के अंगूर, जान लो क्या है ख़ास
इंटरनेट की सनसनी बनी 3 साल की यह लड़की, हर कोई कर रहा तारीफ़
7 साल से भी अधिक समय तक अपनी जगह से नहीं हिलता यह जानवर