इन्दौरी तड़का : बड़े सम्पट नी पड़ता जब छोरियों को मुँह बांधना ही होता है तो इत्ता मेकअप क्यों करती है
इंदौरी तड़का : हाँ बड़े राम। बड़े सच्ची मेरेको ये बात बिलकुल बी पल्ले नी पड़ती की जब छोरियों को अपना थोपड़ा दिखाना ही नी होता है तो इत्ता जादा भन्नाट तरीके का मेकअप क्यों थपोड़ लेती है। भिया ये इंदौर में हर लड़की मुँह पे कपड़ा बांधकर ही निकलती है लेकिन निकलने से पेले इत्ता मेकअप करती है की क्या बतऊ। पूरा मेकअप कपडे में पोछ उठता है तो कपड़ा बंधना ही क्यों ? सच्ची कसम से ऐसा मन करता है की स्टाल पर बैन लगवा दूँ तो जब स्टाल ही नई रेंगे तो लडकियां मुँह बी नई बांधेंगी। आप यहाँ पे किसी बी चोराए पे खड़े हो जाओं एक लड़की ऐसी नी दिखेगी जो बिना मुँह बांधे खड़ी हो। हर छोरी का मुँह कपडे से लपक के बंधा होएगा।
और आँखे उनकी तो बात ही ना करो मुँह तो मुँह साला आँखों पर भी चश्मा धर लेती है उनकी आँखों में बी नी देख सकते तुम। मतलब नी नी करके पूरा का पूरा शरीर पैक। जब दिखाना ही नी है तो ब्यूटी पार्लर क्यों जाती हो ना जाया करो, मेकअप क्यों करती हो ना करा करो, फेशियल क्यों करवाती हो ना करवाया करो। मतलब सब कुछ बंद करवा दो इनका तब इनको समझ आएगी। बड़े ये लडकियां सच में भोत भाव खाती है मेरेको तो पेले से ही डाउट था की इनकी फेवरेट डिश पानीपुरी नई भाव है भाव। जब देखो तब भाव। अपना चेहरा तो ऐसे छूपाती है जैसे हम इनको देखकर इनके घर रिश्ता मांगने ही पोच जाएंगे। इन्दोरी छोरियों को देखकर तो ये लगता है जैसे गब्बर डाकू आ गया हो।
इन्दौरी तड़का : बड़े ! ऑफिस जा जा के जिंदगी झंड हो गई है
इन्दौरी तड़का : बड़े! ये इंदौर की छोरिया मेकअप के बिना रे सकती है लेकिन पानीपुरी के बिना नी
इन्दौरी तड़का : भिया यहां पे हर बात पे लोग जुगाड़ लगाते है
इंदौरी तड़का : भिया अब इंदौर में पानी के लिए भेँकर मगजमारी होएगी