जानिए भाईदूज मनाने के पीछे का लॉजिक
आप सभी को बता दें कि दिवाली के त्योहारों में भाईदूज का पर्व ख़ास होता है. ऐसे में आज भाईदूज है और आज के दिन बहन अपने भाई के लिए खाना बनाती है और उसे खिलाती है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं भाईदूज मनाने के पीछे का लॉजिक. आइए जानते हैं.
क्यों मनाते हैं भाईदूज
आपको बता दें कि इस पर्व को मनाने से संबंधित पहली कथा ये है कि भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया मनाने की परंपरा शुरू हुई. सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे. यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे. इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की. इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा. बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया. इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई.
इसी के साथ इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा ये भी है कि भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर वापस द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की थी.
इस कारण भगवान शिव ने लिया था अर्धनारीश्वर का रूप
इस वजह से दवाइयों के पत्तों के पीछे बनी होती है लाल लाइन
गिनीज बुक में दर्ज हुआ था इस भेड़ का नाम, हो गई मौत