विमान में रात में क्यों धीमी हो जाती है केबिन की लाइट, जानिए लॉजिक?
प्लेन में सफर करते समय कई बार यात्री केबिन की लाइट डिम यानी हो जाने पर घबरा जाते हैं। हालाँकि जब हर सफर के दौरान ऐसा होता है तो इसे आम बात माना जाता है। हालाँकि कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? जी दरअसल इसके पीछे भी विज्ञान है। जी दरअसल, प्लेन जब उड़ान भरता है और वापस लैंडिंग करता है तो केबिन की लाइट में फर्क साफ दिखता है। ऐसा करने के पीछे भी खास वजह है। आइए आपको बताते हैं। जी दरअसल मोनरो एयरोस्पेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान की लैंडिंग और टेकऑफ के समय केबिन की लाइट का धीमा होना यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा है।
यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की गाइडलाइन कहती है, किसी भी 110 सीट वाले कॉमर्शियल विमान में दो इमरजेंसी एग्जिट होती हैं। इसी के साथ विमान दुर्घटनाओं के दौरान यही इमरजेंसी एग्जिट यात्रियों की जान बचाने का काम करती हैं। जी हाँ, हालाँकि इनका लाइट धीमी होने से क्या कनेक्शन है, इसे हम बताते हैं।
जी दरअसल एविएशन गाइडलाइन कहती है, केबिन में लाइट को डिम रात के समय होने वाली लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान किया जाता है। जी हाँ और ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इमरजेंसी एग्जिट के पास तेज जल रही लाइट से यात्री यह समझ सकें कि आपात स्थिति में किधर से निकला जा सकता है। इसके अलावा भी एक और वजह है जिसके कारण लाइट को डिम किया जाता है।
जी दरअसल रात के समय ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यात्री अंधेरे में अपने विजन के साथ तालमेल बिठा सकें। इन दोनों वजहों से ऐसा किया जाता है। वहीं इस दौरान विमान के एग्जिट गैट के चारों तरफ जलने वाली लाइट डिम नहीं की जाती है। यह यात्रियों को एग्जिट गेट का रास्ता याद दिलाने के लिए किया जाता है।
आपको बता दें कि सुरक्षा के अलावा भी इसकी एक और वजह बताई गई है। जी दरअसल रात के समय केबिन की लाइट इसलिए भी धीमी की जाती है ताकि बिजली की बचत की जा सके। वहीं जब विमान टेकऑफ होता है या फिर लैंड होता है तो ऐसे समय उसे अधिक पावर की जरूरत होती है।
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