आज से शुरू हुआ है छठ पूजा का पर्व, जानिए कथा
आज से छठ पूजा का त्यौहार शुरू हो चुका है। आप सभी को बता दें कि आज नहाय खाय का दिन है। यह पर्व 3 दिनों का होता है और इसके पहले दिन नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती महिलाएं इसकी प्रक्रिया पूरी करने में लग जाती हैं। आपको बता दें कि नहाय खाय के दिन गंगा स्नान किया जाता है और इस दिन घर की पूरी सफाई भी करते हैं। कहते हैं छठी मइया के स्वागत के लिए आज के दिन घर आंगन, घर के आगे और पीछे हर स्थान की सफाई होती है। अब आज यानी छठ पूजा के पहले दिन हम आपको बताने जा रहे हैं छठ पूजा की कथा।
छठ पूजा की कथा - एक पौराणिक कथा के अनुसार लंका विजय करने के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। उसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस वजह से छठ पर्व मनाया जाता है। एक अन्य मान्यता को माने तो छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। उस दौरान सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। ऐसा भी कहा जाता है पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा की गई थी। वह अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।
एक अन्य कथा के अनुसार
राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।
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